देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर अभी भी धरना प्रदर्शन जारी है। आईये हम जानते है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की जरूरत क्यों है तथा इसमें किस प्रकार के सुधारो की आवश्यकता है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है :-
न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य है जिससे कम मूल्य पर उस माल को नहीं ख़रीदा जा सकता। न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण वर्तमान में सरकार के द्धारा किया जाता है। बाजार मूल्य के कम होने पर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उस वस्तु को खरीदने का वादा करती है। चूकि अन्य वस्तुओ का उत्पादन बहुत ही कम है इसलिये न्यूनतम समर्थन मूल्य द्धारा खरीद सिर्फ गेहूँ और चावल तक ही सिमित है। मुख्यतया वर्तमान में सरकार 23 वस्तुओ पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है।
यह 23 वस्तुऍ निम्न है :-
7 अनाज :-
- धान
- गेहूँ
- मक्का
- मोती बाजरा
- ज्वार
- जौ
- रागी
5 दाले :-
- चना
- अरहर
- मूँग
- उड़द
- मसूर
7 तिलहन :-
- मूँगफली
- रेपसीड-सरसो
- सोयाबीन
- कुसुम
- निगरस
4 वाणिज्यिक फसले :-
- खोपरा
- गन्ना
- कपास
- कच्चा जूट
न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसे फायदा होता है:-
सरकार अपनी सार्वजानिक वितरण प्रणाली को बनाये रखने के लिये गेहूँ और चावल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करती है। इस प्रकार सरकार का ध्यान न्यूनतम समर्थन मूल्य में केवल गेहूँ और चावल पर रहता है।
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न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा उठाने में 1% की भागीदारी बड़े किसानो की है। 3% बड़े किसान गेहूँ बेचने वाले है जबकि 56% किसान छोटे जिनकी जमीन (2-10 हेक्टेयर) तक है।
विभिन्न राज्यों के द्धारा गेहूँ और चावल की खरीद का विविरण निम्न प्रकार है :-
उपरोक्त डाटा से यह ज्ञात होता है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का उपयोग सबसे ज्यादा मध्यम वर्गीय किसान कर रहा है। अतः डाटा के अनुसार यह कहना की किसानो को न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा नहीं होता है, गलत होगा।
सुधार की जरूरत और आगे का रास्ता :-
1. न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद अभी दो वस्तुओ गेहूँ तथा चावल तक ही सीमित है। हमें चाहिये की हम अन्य वस्तुओ के उत्पादन की तरफ भी ध्यान दे तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य के बारे में किसानो को जागरूक करे।
2. न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा हमें किसानो को फार्म लॉ के बारे में भी शिक्षित करना होगा। नये फार्म लॉ के अनुसार किसान अपने उत्पादन को APMC (कृषि उपज मंडी समिति) के बाहर भी बेच सकता है। जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य की आवश्यकता ही इसलिए है क्योकि APMC (कृषि उपज मंडी समिति) के बाहर किसान को उत्पादन का उचित मूल्य नहीं मिल पता है। इसके बावजूद भी APMC (कृषि उपज मंडी समिति) के द्धारा की गयी उत्पादन की खरीद ना के बराबर है। 3. सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य में सम्मिलित सभी वस्तुओ को बराबर हिस्सेदारी देकर अन्य वस्तुओ के उत्पादन पर भी ध्यान देना चाइये।
REFERENCE :- https://www.thehindu.com/opinion/lead/msp-the-factoids-versus-the-facts/article33367929.ece