प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को संसद के नए भवन की नीव रखी। प्रधानमंत्री ने कहा की यह सासद की नयी बिल्डिंग आत्मनिर्भर भारत और लोकतंत्र की प्रतिक होगी।
नये संसद भवन की विशेषताएँ
1. यह नया भवन टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के द्धारा तैयार किया जायेगा। इस नये भवन में 4 मज़िले होगी जो की 64,500 वर्ग मीटर में फैला होगा। देश के कई कारीगर और मूर्तिकार इस नए भवन में अपना योगदान देंगे और इसे आत्मनिर्भर भारत के प्रतिक के रूप में विकसित करेंगे।
2. भवन आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित होगा तथा भकंप जैसी आपदाओं से भी सुरक्षित होगा।
3. सयुक्त सत्र के दौरान लोकसभा कक्ष में 1,224 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। लोकसभा और राज्य सभा में भी क्रमशः 888 और 384 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी।
पुराने संसद भवन की कमियाँ
1. 1927 के ब्रिटिश राज में बना संसद भवन इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कॉउन्सिल के लिए निर्मित किया गया था जिसमे दो सदनों की व्यवस्था नहीं थी।
2. पुरानी ईमारत में कई बार संशोधन किया गया है जिसमे 2 मज़िलों को 1956 में जोड़ा गया।
3. पुराने लोकसभा भवन में सदस्यों को संख्या 545 निर्धारित है जो कि 1971 के परिसीमन के आधार पर निर्धारित है। यह निर्धारण 2026 तक लागू है जिसके पश्चात सदस्यों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
4. अधिकारियो के अनुसार पुराने लोकसभा और राज्य सभा के सदन भरे हुए है जिसमे और सदस्यों के बढ़ोतरी की संभावना नहीं है।
पुराने संसद भवन का इतिहास
1. पुरानी ईमारत एकत्तासरो महादेव मंदिर (म. प्र.) से प्रेरणा लेकर बना है। 1927 के ब्रिटिश राज में इसे इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कॉउन्सिल के लिए निर्मित किया गया था।
2. 18 जनवरी, 1927 को तात्कालीन वाइसराय लार्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया था। ब्रिटिश राज समाप्त होने के पश्चात इसे संविधान सभा ने अपने कब्ज़े में ले लिया था। जो कि 1950 में संविधान लागू होने के पश्चात भारतीय संसद भवन के नाम से जाना गया।
3. वर्ष 2010 में, सेंट्रल विस्टा के जीर्णोद्धार और प्रशासनिक भवन के स्थानांतरण का कार्य किया गया जिसके 2024 तक पूर्ण होने की सम्भावना है।
पुराने संसद भवन का वास्तु विवरण
1. पुराने संसद भवन का निर्माण एडविन लुट्येन्स और हर्बर्ट बेकर नाम के आर्किटेक्ट ने किया था।
2. इसे ब्रिटिश भारत को एक नयी प्रशासनिक राजधानी बनाने के उद्देश्य से किया गया था।
3. पुरानी ईमारत की परिधि गोलाकार है तथा इसके बाहरी हिस्से में 144 स्तम्भ है।
4. यह ईमारत बड़े बगीचों से घिरी हुई है तथा बलुआ पत्थर की जाली इसके चारो और लगी हुई है। इसका निर्माण कार्य 1921 में शुरू हुआ था तथा 1927 में पूर्ण हुआ था।