जड़ी – बूटी क्या होती है :-
सामान्य तौर पर जड़ी – बूटी का उपयोग सुगंध के लिये या औषधिय रूप में किया जाता है। जड़ी – बूटी आम तौर पर पौधे का पत्तेदार हरे या फूल वाले हिस्से को संदर्भित करता है। पाक जड़ी – बूटी तथा औषधिय जड़ी – बूटी में भिन्नता होती है। औषधि के रूप में उपयोग करने के लिए पौधे के किसी भी भाग का उपयोग किया जा सकता है। पादप विज्ञान के अनुसार जड़ी – बूटी पौधे बीज धारण किये हुए होते है तथा इनके पूर्ण चक्र का समय 1 वर्ष के लगभग होता है।
ट्रिलियम गोवनिअम क्या है :-
ट्रिलियम गोवनिअम एक उच्च मूल्य की औषधीय जड़ी -बूटी है जिसका हिंदी नाम नाग छत्री है। यह पादप जगत की मेलान्टियासी फॅमिली से सम्बंधित है तथा हिमालय के पाकिस्तान और भूटान क्षेत्र में पायी जाती है। भारत में यह हिमाचल प्रदेश, जम्मू -कश्मीर, सिक्किम और उत्तराखण्ड में पायी जाती है। यह हिमालय की मूल प्रजाति है तथा छायादार क्षेत्रों में पायी जाती है।
यह पौधा एक छोटी जड़ी -बूटी है जिसका फूल हरे बैंगनी रंग का होता है। इसकी ऊंचाई 15 -20 cm तक होती है। इसमें एक WHORL पर 3 पत्ते लगे होते है। इसकी कीमत 5000 -25000 रूपये/kg तक होती है।
हाल ही में IUCN के द्धारा इस जड़ी -बूटी को “लुप्तप्राय” (Endangered) घोषित किया गया है। बीते कुछ वर्षो ,में अपने उच्च कोटि के औषधीय गुण के कारण इसे बहुतायत में उपयोग किया जाने लगा। इसका उपयोग पारम्परिक औषधि के रूप में त्वचा रोग तथा घाव अदि में किया जाता था।
हाल ही में पता चला है कि इस जड़ी -बूटी के प्रकंद में SAPONINS नाम का स्टेरॉयड प्राप्त होता है जिसका उपयोग एंटीकैंसर और ऐंटीऐजिंग के रूप में किया जा सकता है। जिससे इसकी कीमतों में और अधिक इजाफा हुआ है।
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विलुप्त होने के कारण :-
1. उच्च उपयोग
2. लम्बा जीवन चक्र
3. धीमी जनन प्रक्रिया
4. बीजो का काम बिखरना
5. उगने के लिए विशेष परिस्थितियों की जरूरत
औषधीय उपयोग :-
1. एंटीकैंसर दवा में
2. एंटीऐजिंग दवा में
3. पेचिश में
4. त्वचा रोगो में
5. घाव भरने में
बचाव के उपाय :-
1. इस जड़ी -बूटी को उपयोग में लेने के लिये सख्त नियम बनाये जाने कहिये जिससे कि इस जड़ी बूटी को इसके अत्यधिक दोहन से बचाया जा सके।
2. इस प्रजाति के प्राकृतिक वास के स्थान के संरक्षण का कार्य स्थनीय निवासियों को दिया जाना चाहिए।
3. इसके उपयोग और प्राकृतिक स्थिति के बारे में लोगो को शिक्षित किया जाना चाहिये।
REFERENCE :- https://www.thehindu.com/sci-tech/energy-and-environment/