What is a cyclone and what are its types. General effect of cyclone Dana.

What is a cyclone
  1. उष्णकटिबंधीय साइक्लोन
    उष्णकटिबंधीय साइक्लोन गरम समुद्री सतहों के ऊपर उत्पन्न होते हैं। ये चक्रवात 5 से 30 डिग्री अक्षांश के बीच बनते हैं और इनमें अत्यधिक वायु-दाब घटाव और बहुत तेज़ हवाओं का संयोग होता है। उष्णकटिबंधीय साइक्लोन का उदाहरण भारत में ‘फानी’, ‘तितली’ और ‘अम्फान’ जैसे चक्रवात हैं, जिन्होंने भारतीय तटीय क्षेत्रों में काफी नुकसान पहुंचाया था।
  2. उप-उष्णकटिबंधीय साइक्लोन
    ये चक्रवात उन क्षेत्रों में बनते हैं, जहां महासागरों की सतह का तापमान अपेक्षाकृत कम होता है। इनमें सामान्य उष्णकटिबंधीय साइक्लोन से कम ऊर्जा होती है और इनका प्रभाव भी कुछ हद तक सीमित होता है।
  3. मध्यम अक्षांशीय साइक्लोन
    ये साइक्लोन 30 से 60 डिग्री अक्षांश पर उत्पन्न होते हैं। इनके बनने का प्रमुख कारण गर्म और ठंडी हवा का संयोग होता है। यह संयोग विशेष रूप से वसंत और शरद ऋतु में होता है, जब ठंडी और गर्म हवाएं मिलती हैं। इन साइक्लोन का प्रभाव अधिकतर ठंडी हवा वाले क्षेत्रों में अधिक होता है।
  4. ध्रुवीय साइक्लोन
    ध्रुवीय साइक्लोन का निर्माण ध्रुवीय क्षेत्रों में होता है। ये कम अवधि के होते हैं और इनकी गति भी अपेक्षाकृत धीमी होती है। इनका प्रभाव भी अधिकतर ध्रुवीय क्षेत्रों में ही सीमित रहता है।
  • तेज हवाएं: साइक्लोन में हवाओं की गति 100 से 300 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है, जो इमारतों, पेड़ों, और अन्य ढांचों को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • भारी वर्षा: साइक्लोन के दौरान होने वाली भारी वर्षा के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह बाढ़ कृषि भूमि, घरों, और अन्य संरचनाओं को भारी क्षति पहुंचा सकती है।
  • तटीय कटाव और समुद्र के स्तर में वृद्धि: साइक्लोन समुद्र के पानी को ऊँचाई पर ले आता है, जिसके कारण तटीय कटाव होता है। इससे समुद्र का पानी तटीय इलाकों में भर जाता है और वहां पर रहने वाले लोगों के लिए खतरा उत्पन्न होता है।
What is a cyclone
  1. कृषि पर प्रभाव
    ओडिशा एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां धान और अन्य फसलें मुख्य रूप से उगाई जाती हैं। साइक्लोन ‘दाना’ के कारण भारी बारिश और बाढ़ से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। खेतों में पानी भर जाने के कारण फसलें नष्ट हो गईं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा।
  2. बिजली और संचार व्यवस्था पर प्रभाव
    तेज हवाओं के कारण कई इलाकों में बिजली की लाइनें टूट गईं और संचार व्यवस्था भी बाधित हो गई। लोगों को बिजली और संचार साधनों की कमी का सामना करना पड़ा। इससे बचाव कार्यों में भी समस्या उत्पन्न हुई।
  3. बाढ़ और जलभराव
    साइक्लोन ‘दाना’ के कारण ओडिशा के तटीय इलाकों में भारी बाढ़ आ गई। इसके कारण कई गांवों और शहरों में जलभराव हो गया, जिससे वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा राहत कार्य किए गए और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए बचाव अभियान चलाया गया।
  4. पर्यावरण पर प्रभाव
    साइक्लोन के कारण वनस्पतियों और वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंचा। तटीय इलाकों में पेड़ों के उखड़ जाने से वहां के पारिस्थितिक संतुलन पर असर पड़ा। इसके अलावा, समुद्री जीवन भी इस चक्रवात के कारण प्रभावित हुआ।
  5. आर्थिक प्रभाव
    साइक्लोन ‘दाना’ के कारण ओडिशा की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा। खेती, मछलीपालन और अन्य व्यापारिक गतिविधियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति को नुकसान पहुंचा।
  • समय पर चेतावनी जारी करना: साइक्लोन के पूर्वानुमान के लिए मौसम विभाग द्वारा समय पर चेतावनी जारी की जानी चाहिए, ताकि लोग सुरक्षित स्थानों पर जा सकें।
  • तटबंध निर्माण: तटीय क्षेत्रों में मजबूत तटबंधों का निर्माण किया जा सकता है, ताकि बाढ़ और समुद्र के स्तर में वृद्धि से निपटा जा सके।
  • राहत शिविरों का संचालन: साइक्लोन के दौरान प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाना और उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना एक प्रभावी कदम है।
  • वृक्षारोपण: तटीय क्षेत्रों में वृक्षारोपण करने से हवाओं की तीव्रता को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।

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