Himalayas: Sentinel or Destroyer | In Hindi |

हेलो दोस्तों, सिविल सर्विसेज हब पर आपका स्वागत है। जैसा कि आप सब लोग जानते ही है कि हिमालय भारत में सबसे विशाल पर्वत श्रृंखला है। एक और जहाँ यह भारत के रक्षा प्रहरी के रूप में विधमान है वही दूसरी और कभी-कभी यह कई आपदाओं का कारण भी बनता है। हाल ही में भारत के उत्तराखंड में हिमालय से हिम स्खलन हुआ। इस हिम स्खलन के कारण  कई लोगो की जान गई और वनस्पति को भी भारी नुकसान हुआ है। आज हम अपने इस लेख में Himalayas: Sentinel or Destroyer के बारे में चर्चा करेंगे। 

SEE ALSO:- Fecal Microbiota Transplantation | IN HINDI |

इस लेख में हम जानेंगे की किस तरह यह प्राकर्तिक आपदाये अपना रूप लेती है और किस प्रकार इनसे होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। तो आइये शुरू करते है। 

Himalayas: Sentinel or Destroyer

Himalayas: Sentinel or Destroyer:-

आपने हाल ही में सुना होगा कि हिमालय के एक हिमस्खलन से उत्तराखंड की कई घाटियों को तबाह कर दिया। उत्तराखंड के चमोली ज़िले में हिम से ढके ग्लेशियर उपस्थित है। दिनांक 7 फ़रवरी, 2021 को इन घाटियों पर ऋषिगंगा नदी के द्धारा हिम, पानी और कचरे के साथ नीचे आया और लोगो के लिए जानलेवा बन गया। यह स्खलन दो जलविधुत स्टेशनो पर फ़ैल गया। 

READ ALSO:- STROMATOLITES FOSSILS: EARLIEST LIFE ON EARTH | IN HINDI |

इस घटना से हिमालय के आस पास के ज़िलों में भयंकर तबाही हुई। कई लोग पानी के साथ बह गये। कई लोग सुंरंगो में फंस गए। जलविधुत स्टेशनो पर भी भरी नुकसान हुआ तथा वहाँ काम करने वाले लोगो की जान भी गयी। तबाही का ऐसा मंजर देखकर तुरंत बचाव कार्य शुरू किये गये। 

हिमस्खलन की जानकारी:-

21 फ़रवरी, 2021 को लैंडसैट 8 पर ऑपरेशनल लैंड इमेजर (ओएलआई) ने इस घटना के एक दृश्य को कैप्चर किया था। इसके बाद शटलर रडार टोपोग्राफी मिशन (SRTM) से एक डिजिटल ऊंचाई मॉडल पर प्राकृतिक-रंग लैंडसैट 8 डेटा को ओवरलैड किया गया था। 

भूस्खलन से महीनों पहले, उपग्रह चित्रों में 6,029-मीटर (19,780-फुट) पर्वत की चोटी रोंटी पर हिम पर्वत में दरार दिखाई दी थी। 7 फरवरी, 2021 को, सीधी ढलान पर स्तिथ हिम का एक बड़ा हिस्सा चोटी से टूट गया। इस कारण  एक लटकते ग्लेशियर का हिस्सा नीचे गिर गया। यह टुकड़ा लगभग दो किलोमीटर तक फ़्रीफ़ॉल करने के बाद, चट्टान और बर्फ में बदल गया। 

READ ALSO:- Chumash Indians Used Shell Beads Currency | IN HINDI |

हिमस्खलन का कारण:-

हिम के टुकड़े होने के बाद यह ज़मीन में धस गया जिससे भारी भूस्खलन और धूल के बादल पैदा हो गये। जैसी ही हिम ने रोंटी से बाहर निकलकर ऋषिगंगा नदी को पार किया तो बर्फ पिघल गयी। इस प्रकार सभी चीज़े एक साथ मिलकर एक तेज नदी में परिवर्तित हो गयी। इस परिवर्तित नदी ने अपने रस्ते में आने वाली हर चीज़ को नष्ट कर दिया। 

यह हिम का टुकड़ा क्यों टुटा इसका जवाब ढूंढने के लिये वैज्ञानिक कई प्रकार के मौसम संबंधी, भूगर्भिक और मॉडलिंग डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं। वे यह जानने की कोशिश कर रहे है कि क्या मौसम की स्थिति, विवर्तनिक वातावरण, और जलवायु की स्थिति ने बर्फ को गिराने में भूमिका निभाई है। 

वैज्ञानिको के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण रॉक परमिट अस्थिर हुआ होगा और इससे पर्माफ्रॉस्ट को नष्ट करने में मदद मिली होगी। 

Himalayas: Sentinel or Destroyer लेख में काम में आये महत्वपूर्ण शब्द:-

ऋषिगंगा नदी (Rishiganga River):-

यह नदी उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित एक नदी है। यह नंदा देवी पर्वत के उत्तरी नंदा देवी ग्लेशियर से निकलती है। यह नदी नंदादेवी राष्ट्रीय उधान से निकलते हुए रिणी ज़िले में धौलीगंगा नदी में मिलती है। 

ऑपरेशनल लैंड इमेजर (Operational Land Imager):-

ऑपरेशनल लैंड इमेजर (ओएलआई) एक रिमोट सेंसिंग उपकरण है। यह एक पुश ब्रूम स्कैनर है जो फिक्स्ड मिरर के साथ चार-दर्पण टेलीस्कोप का उपयोग करता है। ओएलआई, थर्मल इन्फ्रारेड सेंसर के साथ संचालित होता है। एक और जहाँ ओएलआई का निर्माण और डिजाइन पिछली पीढ़ी के उपकरणों से अलग है वही दूसरी और पिछले उपकरणों के समान पिछले 40 वर्षों से संग्रहीत लैंडसैट डेटा के साथ डेटा की निरन्तर उपलब्धता को बनाये हुए है। 

READ ALSO:- GREAT BARRIER REEF-EVOLUTION AND SURVIVAL

ओएलआई पृथ्वी की सतह की इमेजिंग में लैंडसैट -8 मिशन के लिये काम करता है। यह मध्यम रिज़ॉल्यूशन डेटा का संग्रह है जो सतह पर बदलते रुझानों की निगरानी करने और समय के साथ भूमि उपयोग में परिवर्तन का मूल्यांकन करने के लिए उपयोगी रहता है। 

हिमालयन पर्वतो के बारे में कुछ अन्य जानकारी (Information About Himalayan Mountain):-

हिमालय दक्षिण और पूर्वी एशिया में एक पर्वत श्रृंखला है जो तिब्बती पठार से भारतीय उपमहाद्वीप के मैदानी इलाकों को अलग करती है। इस पर्वत माला में पृथ्वी की कई सबसे ऊंची चोटियाँ हैं। इन चोटियों में नेपाल और चीन की सीमा पर सबसे ऊंची चोटी, माउंट एवरेस्ट भी शामिल है। हिमालय में पचास से अधिक पर्वत शामिल हैं। इन पर्वतो की ऊंचाई 7,200 मीटर (23,600 फीट) से अधिक हैं। 10 पर्वत 8000 मीटर की ऊंचाई से अधिक है। 

यूरेशियन प्लेट में भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के सबडक्शन से 2,400 किमी (1,500 मील) लंबी हिमालय पर्वत श्रृंखला बनी है। यह पर्वत श्रृंखला पश्चिम-उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पूर्व तक फैली है। इसका पश्चिमी छौर नंगा पर्वत, सिंधु नदी के सबसे उत्तरी मोड़ के दक्षिण तक स्थित है।  जबकि इसका पूर्वी छौर नामचा बरवा, यारलुंग त्संग्पो नदी के मोड़ तक स्थित है। 

हिमालय की सीमा उत्तर पश्चिम में काराकोरम और हिंदू कुश पर्वतमाला से लगती है। उत्तर में, श्रृंखला को 50-60 किमी (31-37 मील) चौड़ी टेक्टोनिक घाटी द्धारा तिब्बत के पठार से अलग किया जाता है जिसे सिंधु-त्संगपो संधि कहा जाता है। अफगानिस्तान में हिंदू कुश श्रेणी और म्यांमार में हक्काबो राज़ी को आम तौर पर इस पर्वत माला में शामिल नहीं किया जाता है, लेकिन यह दोनों हिंदू कुश हिमालयी (एचकेएच) नदी प्रणाली का हिस्सा हैं।

हिमालय के मुख्य माउंटेन पासेज( Important Passes From Himalayas):-

एक पर्वत पास, पर्वत श्रृंखला से गुंजरने वाला एक मार्ग होता है। इस पास का निर्धारण उस मार्ग की सबसे ऊंची छोटी के रूप में किया जाता है। इस माध्यम मार्ग के द्धारा ही आसपास के पहाड़ों पर यात्रा कर सकता है। पहाड़ की चोटियों पर इस पास का निर्माण या तो पहाड़ के निर्माण के समय ही हो सकता है या ग्लेशियरों के बहते पानी, या बारिश या बर्फ के रूप में वर्षा की सहायता से हो सकता है। 

पश्चिमी हिमालय के मुख्य माउंटेन पासेज निम्न है:-

अघिल पास (जम्मू)

मिंटका पास (जम्मू)

खारदुंग ला (जम्मू)

काराकोरम पास (जम्मू)

चांग ला (जम्मू)

ज़ोजी ला (जम्मू)

बारा लाचा ला (हिमाचल प्रदेश)

रोहतांग पास (हिमाचल प्रदेश)

शिपकी ला (हिमाचल प्रदेश)

लिपु लेख (उत्तराखंड)

पूर्वी हिमालय के मुख्य माउंटेन पासेज निम्न है:-

नाथू ला (सिक्किम)

जेलेप ला (सिक्किम)

बम डि ला (अरुणाचल प्रदेश)

Himalayas: Sentinel or Destroyer से सम्बंधित यह पोस्ट आपको कैसी लगी। इसे अपने दोस्तों और फैमिली के साथ जरूर शेयर करे। साथ ही अगर किसी अन्य टॉपिक पर भी आप पोस्ट चाहते है तो हमें कमेंट बोस में लिखे। 

REFERENCE:- SCITECHDAILY

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Tweet
Share
Share
Pin