म्यांमार, जो कि भारत, चीन, थाईलैंड, बांग्लादेश और लाओस से घिरा एक दक्षिण-पूर्व एशियाई देश है, भूकंपों के कारण अक्सर चर्चा में रहता है। इस क्षेत्र में भूकंप कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि एक बड़ी भूगर्भीय और टेक्टोनिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं। (Why Is Myanmar Earthquake-Prone?) यह समझने के लिए कि म्यांमार में बार-बार भूकंप क्यों आते हैं, हमें प्लेट विवर्तनिकी (plate tectonics), क्षेत्रीय भूगोल और ऐतिहासिक भूकंपीय गतिविधियों को समझना होगा।
यह लेख UPSC अभ्यर्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि यह भूगोल, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण और अंतर्राष्ट्रीय संबंध जैसे विषयों को छूता है – जो सामान्य अध्ययन (GS) के पाठ्यक्रम का अभिन्न हिस्सा हैं।
भूकंप क्या है?
भूकंप की मूल वैज्ञानिक परिभाषा
भूकंप पृथ्वी की सतह का हिलना-डुलना है, जो पृथ्वी की सतही परत (lithosphere) में संचित तनाव के अचानक मुक्त होने से उत्पन्न होता है। इस ऊर्जा के उत्सर्जन से उत्पन्न होने वाली तरंगों को सिस्मिक वेव्स (seismic waves) कहा जाता है।

भूकंप उत्पन्न होने की वास्तविक जगह को हाइपोसेंटर (Hypocenter) और धरती की सतह पर उस बिंदु को एपिसेंटर (Epicenter) कहते हैं।
भूकंप आने के कारण
- प्लेटों की टक्कर (Tectonic Activity)
- ज्वालामुखीय गतिविधि
- मानव निर्मित कारण – जैसे खनन, बाँध, परमाणु परीक्षण
- ग्लेशियर पिघलने से प्लेटों की पुनः स्थिति (Isostatic Rebound)
म्यांमार में भूकंप का सबसे मुख्य कारण टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर है।
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonic Theory)
धरती की बाहरी परत अनेक टेक्टोनिक प्लेटों में विभाजित है, जो पृथ्वी के मेंटल में प्रवाहशील पदार्थ पर तैर रही हैं। इन प्लेटों की गति से ही भूकंप, ज्वालामुखी और पर्वत बनते हैं।
टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाएं तीन प्रकार की होती हैं:
- संवर्तनी सीमाएं (Convergent boundaries) – प्लेटें एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं।
- विचलनी सीमाएं (Divergent boundaries) – प्लेटें अलग-अलग होती हैं।
- परिवर्तनीय सीमाएं (Transform boundaries) – प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं।
म्यांमार की टेक्टोनिक स्थिति
म्यांमार एक जटिल टेक्टोनिक संगम पर स्थित है। इसके नीचे और आस-पास कई प्रमुख प्लेटें हैं:
- भारतीय प्लेट (Indian Plate)
- यूरेशियन प्लेट (Eurasian Plate)
- बर्मा माइक्रोप्लेट (Burma Microplate)
- सुंडा प्लेट (Sunda Plate)
1. भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट का टकराव
- भारतीय प्लेट उत्तर की ओर प्रति वर्ष लगभग 5 सेंटीमीटर गति से बढ़ रही है।
- यह यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है, जिससे हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ।
- यही टकराव म्यांमार तक फैलकर वहां तनाव उत्पन्न करता है।
2. बर्मा माइक्रोप्लेट
- यह एक छोटी मगर गतिशील प्लेट है जो भारतीय और सुंडा प्लेटों के बीच फंसी हुई है।
- इस पर चारों ओर से टेक्टोनिक दबाव पड़ता है, जिससे यह तनाव मुक्त करने के लिए भूकंप उत्पन्न करती है।
3. सगाइंग फॉल्ट (Sagaing Fault)
- यह म्यांमार की सबसे सक्रिय और खतरनाक फॉल्ट लाइन है।
- यह देश के उत्तर से दक्षिण तक लगभग 1,200 किमी लंबाई में फैली है।
- अधिकांश बड़े भूकंप इसी फॉल्ट से उत्पन्न होते हैं।
म्यांमार में भूकंप के बार-बार आने के कारण
1. प्लेटों के संगम पर स्थिति
तीन प्रमुख प्लेटों के मिलन स्थल पर होने के कारण, म्यांमार में लगातार टेक्टोनिक तनाव बनता रहता है जो समय-समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलता है।

2. सक्रिय फॉल्ट लाइनें
- सगाइंग फॉल्ट
- कबाव फॉल्ट
- क्याउक्यान फॉल्ट
ये सभी भूगर्भीय दरारें समय-समय पर ऊर्जा मुक्त करती हैं।
3. सबडक्शन ज़ोन
भारतीय प्लेट म्यांमार के दक्षिणी भाग में समुद्र के नीचे बर्मा प्लेट के नीचे खिसकती है, जिसे सबडक्शन कहा जाता है। इससे गहरे और विनाशकारी भूकंप उत्पन्न होते हैं।
4. उथले (Shallow) भूकंप
म्यांमार के अधिकांश भूकंप सतह के पास (0–70 किमी) होते हैं, जो अधिक विनाशकारी होते हैं।
म्यांमार के प्रमुख भूकंप
वर्ष | तीव्रता | स्थान | प्रभाव |
---|---|---|---|
1839 | ~7.5 | इनवा (Ava) | मंडले क्षेत्र में भारी तबाही |
1930 | 7.3 | बागो | 500 से अधिक मौतें |
1975 | 6.8 | बागान | कई प्राचीन मंदिर नष्ट |
2011 | 6.9 | शान राज्य | दर्जनों मौतें, भारी नुकसान |
2016 | 6.8 | चाउक (बागान) | मंदिरों को नुकसान; कोलकाता तक झटके |
2022 | 6.0 | दक्षिण-पश्चिम म्यांमार | इमारतों में दरारें, लोग घायल |
क्षेत्रीय प्रभाव और भूकंप
1. पड़ोसी देशों पर असर
- म्यांमार के भूकंपों के झटके अक्सर भारत के पूर्वोत्तर, बांग्लादेश, और थाईलैंड तक महसूस होते हैं।
- 2016 का भूकंप कोलकाता और ढाका तक महसूस किया गया था।
2. सुनामी का खतरा

सबडक्शन ज़ोन में समुद्र के नीचे आए भूकंप सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं। 2004 की विनाशकारी हिंद महासागर सुनामी इसी क्षेत्र में उत्पन्न हुई थी।
3. ढांचागत खतरे
म्यांमार में भवन निर्माण मानक काफी कमजोर हैं। बड़े शहरों में एक बड़ा भूकंप भारी जन और धन हानि का कारण बन सकता है।
म्यांमार की भूकंप से निपटने की तैयारी
1. निगरानी प्रणाली
- मौसम विज्ञान और जलविज्ञान विभाग (DMH) के माध्यम से भूकंप की निगरानी की जाती है।
- ASEAN और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से भी डाटा साझा किया जाता है।
2. भवन निर्माण नियम
- निर्माण मानकों को और सख्त करने की जरूरत है।
- पुराने भवनों को पुनः सुदृढ़ करना होगा।
- जनता को जागरूक करना अत्यावश्यक है।
भारत और क्षेत्र के लिए सबक

- भारत के पूर्वोत्तर राज्यों जैसे मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और असम की टेक्टोनिक स्थिति म्यांमार से मिलती-जुलती है।
- समन्वित भूकंप तैयारी, सीमा-पार डेटा साझाकरण, और संयुक्त अभ्यास आवश्यक हैं।
निष्कर्ष
म्यांमार में बार-बार आने वाले भूकंप उसकी भूगर्भीय स्थिति का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। भारतीय, यूरेशियन और सुंडा प्लेटों के संगम, और सक्रिय फॉल्ट लाइनों जैसे सगाइंग फॉल्ट, के कारण यह क्षेत्र हमेशा भूकंपीय खतरे में रहता है।
UPSC की दृष्टि से यह विषय भूगोल, आपदा प्रबंधन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें यह भी सिखाता है कि प्रकृति के इस प्रकार के खतरों से निपटने के लिए तैयारी, विज्ञान आधारित नीति और सहयोग कितना आवश्यक है।
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