पंजाब व हरयाणा के किसान, सरकार के द्धारा लाये गये 3 अध्यादेशों का विरोध कर रहे है। यह अध्यादेश सरकार द्धारा संसद का मानसून सत्र शुरू होने के पश्चात पेश किया। जो कि निम्न है :-
1. किसान उत्पादन व्यापर और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020
2. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020
3. आवश्यक वास्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020
1. किसान उत्पादन व्यापर और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020
5 जून, 2020 को केंद्रीय मंत्रीमंडल के द्धारा किसान उत्पादन व्यापर और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 लाया गया।
इस अध्यादेश के तहत किसानो को अपनी उपज को कृषि उपज बाजार समिति (APMC) और राज्य कृषि उपज बाजार समिति से अधिसूचित बाज़ारो के अलावा अन्य राज्यों में भी अपनी उपज को बेच सकते है।
अध्यादेश के अन्य प्रावधान :-
यह एक्ट किसानो को बाहरी क्षेत्र में भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति प्रदान करता है जबकि पहले यह केवल APMC या मंडियों तक ही सिमित था।
यह अध्यादेश किसानो को अपनी उपज का बिना किसी रोक -टोक के, एक आकर्षक मूल्य पर राज्य में या अन्तर्राज्य व्यापर की अनुमति प्रदान करता है।
किसी भी राज्य के APMC एक्ट के द्धारा अधिसूचित किसान उपज को निर्दिष्ट व्यापर क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक व्यापर की अनुमति प्रदान करता है।
इस अधिनियम के तहत, राज्य सरकारे किसी भी किसान के द्धारा निर्दिष्ट व्यापर क्षेत्र से बाहर व्यापर करने पर , किसी भी प्रकार का बाजार शुल्क या उपकार नहीं वसूल सकेगी।
2. मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020
5 जून, 2020 को केंद्रीय मंत्रीमंडल के द्धारा मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 लाया गया।
यह अध्यादेश किसान और खरीददार के मध्य, उत्पादन या पालन से पहले, अनुबंध खेती के लिए एक राष्ट्रीय ढाचा प्रदान करता है।
अध्यादेश के अन्य प्रावधान :-
इस अधिनियम के अनुसार किसी भी कृषि उपज के उत्पादन या पालन से पूर्व, किसान और ख़रीददार के मध्य कृषि समझौता करने का प्रावधान किया गया है।
यह कृषि समझौता काम से काम एक फसल के लिए या पशुधन के एक उत्पादक चक्र के लिए किया जाना आवश्यक है। कृषि अनुबंध की अधिकतम सीमा 5 वर्ष की हो सकती है।
यदि किसी फसल का फसल चक्र 5 वर्ष से ऊपर हो तो ऐसी स्थिति में कृषि अनुबंध की समय सीमा किसान और खरीददार परस्परिक वार्तालाप से निश्चित करेंगे, जिसका उल्लेख कृषि अनुबंध में करना अनिवार्य होगा।
कृषि उपज का मूल्य व मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया का उल्लेख समझौते में किया जाना अनिवार्य होगा। उपज के मूल्य में भिन्नता होने पर एक निश्चित मूल्य तथा निश्चित मूल्य के अतिरिक्त किसी अन्य राशि का उल्लेख समझौते में होना आवश्यक होगा।
कोई भी विवाद उत्पन्न होने की स्थिति में यह एक्ट त्रिस्तरीय विवाद निस्तारण तंत्र की व्यवस्था करता है, जिसमे सुलह बोर्ड, उप-खण्ड मजिस्ट्रेट व अपीलीय प्राधिकरण का प्रावधान है।
3. आवश्यक वास्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 :-
5 जून, 2020 को केंद्रीय मंत्रीमंडल के द्धारा आवश्यक वास्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 संसद में पेश किया गया।
यह अधिनियम भारतीय संसद के द्धारा 1955 में लागू किया गया था जिसके द्धारा कुछ वस्तुओ और उत्पादन के जमाखोरी और कालाबाज़ारी की रोकथाम के प्रावधान है। जिसमे खाद्य प्रदार्थ, दवाएं व ईधन शामिल है।
केंद्रीय सरकार की शक्तियाँ :-
भारत सरकार उन सभी वस्तुओ के उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का नियमन करती है, जिन्हे वे उचित मूल्य पर उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने के लिए “आवश्यक” घोषित करती है।
केंद्र सरकार किसी भी वास्तुको आवश्यक घोषित करके उसको अधिकतम मूल्य निर्धारित कर सकती है। इसके अलावा सरकार इनमे से किसी भी वास्तु को हटाने व जोड़ने में सक्षम है।
यदि एक वास्तु कम आपूर्ति में है और इसका मूल्य निरंतर बढ़ रहा हो तो, सरकार एक निर्दिष्ट अवधि के लिये उस वास्तु पर स्टॉक-होल्डिंग की सीमा तय कर सकती है।
राज्य सरकार की शक्तियाँ :-
राज्य सरकारे केंद्र के द्धारा अनुसूचित किसी भी प्रतिबन्ध को लगाने के लिए बाध्य नहीं है। परन्तु अगर राज्य सरकार किसी भी प्रतिबन्ध को लगाती है तो व्यापारियों को उस सीमा से अधिक के माल को तुरंत प्रभाव से बेचना पड़ता है, जिससे की आपूर्ति में सुधार होता है और कीमतों में कमी आती है।
संशोधन :-
इस अधिनियम में संशोधन के अनुसार केंद्र सरकार केवल युद्ध, अकाल, असाधारण मूल्य वृद्धी या प्राकर्तिक आपदा के मामले में ही आपूर्ति और कीमतों के विनियमितीकरण के किये “आवश्यक वस्तुओ” को सूचीबद्ध करेगा।
इस संशोधन के अनुसार अनाज, दाले, आलू, प्याज़, खाद्य तिलहन और तेल को खाद्य प्रदार्थो को सूचि से बाहर किया गया है।
संशोधन के अनुसार स्टॉक सीमा का नियम केवल मूल्य वृद्धि की स्थिति में ही लगाया जायेगा।
बागवानी उपज के मूल्य में वृद्धि सीमा – 100%
सम्मिश्र कृषि खाद्य प्रदार्थ में मूल्य वृद्धि – 50%
वृद्धि की गणना 12 महीने के प्रचलित मूल्य से या पिछले 5 वर्षो के औसत खुदरा मूल्य, जो भी काम हो, से की जाएगी।