भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति वर्तमान समय में ठीक नहीं है। पहली बार ऐसा हुआ है जब ऐसे कारण के कारण अर्थव्यवस्था निचले स्तर पर आयी है, जिसका अर्थव्यवस्था से सीधा कोई लेना-देना नहीं है। कोरोना वायरस के कारण कई ऐसे कदम उठाये गये जिनसे अर्थव्यवस्था की गति धीमी हुई, लॉकडाउन इनमे से एक है।
लॉकडाउन होते ही पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9% की गिरावट आई। ऐसे में कई सवाल हमारे दिमाग में घर कर गये है जैसे की -क्या इसी तरह से आने वाले साल में भी अर्थव्यवस्था की यही स्थिति रहेगी? बजट में किस प्रकार घोषणाएँ सरकार के द्धारा की जाएगी?
आशा है की पहली और दूसरी तिमाही में आयी गिरावट तीसरी और चौथी तिमाही में बढ़ेगी और घटकर 6% से 7% तक आएगी। GST संग्रहण में हुई वृद्धि, सरकार के द्धारा खर्च में वृद्धि तथा विनिर्माण सेक्टर में वृद्धि यह संकेत देती है कि ऐसा होना चाहिये। निश्चय ही इस गिरावट से उबरने में समय लगेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र :-
भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्यतया 3 क्षेत्र है :-
प्राथमिक – इसमें प्राकर्तिक संसाधन आते है। जैसे – कृषि
द्वितीय – इसमें विनिर्माण के संसाधन आते है – ऑटोमोबिल, लोहा इस्पात उधोग
तृतीय – इसमें आर्थिक क्रियाओ से पैदा होने वाली क्रियाएँ है – यातायात, वित्तीय सेवाएँ
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भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के उपाय :-
भारतीय अर्थव्यवस्था का 2021 -22 में 8% दर से बढ़ना बेहद जरूरी है जिससे कि पिछले सालो में आयी गिरावट बराबर हो सके।
COVID -19 के समय की गयी पाबन्दियों को हटाया जाये। निजी क्षेत्र की तरह सरकारी क्षेत्र में भी व्यय को बढ़ावा दिया जाये। विकास खपत संचालित ना होकर व्यय संचालित होना चाहिये जिससे लम्बे समय के लिये अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी। जो कि एक विकासशील देश के लिये जरूरी है।
मौद्रिक नीति में भी सुधार की आवश्यकता है। सरकार के द्धारा व्यय को बढ़ावा देने से एक और जहाँ पैसे की आपूर्ति में वृद्धि होगी वही दूसरी और मुद्रास्फीति में भी वृद्धि होगी। इसलिए सराकर हो हर निर्णय सोच -समझ कर लेना होगा।
सरकार को माल और सेवाओं की उपलब्धता को देखते हुए पैसे की आपूर्ति का निर्णय लेना होगा जिससे कि मुद्रास्फीति पर इसका विपरीत असर ना पड़े।
सरकार को अपने राजकोषीय घाटे को भी कम करना होगा जो की अभी सकल घरेलू उत्पाद का 8% है। जब राजकोषीय घाटा कम होगा तभी सरकार व्यय में वृद्धि कर सकेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनोतियाँ :-
जिस प्रकार सरकार ने COVID-19 से लड़ने के लिये त्वरित कदम उठाये है उसी तरह आर्थिक विकास के लिये भी सरकार को त्वरित कदम उठाने होंगे।
एक तरफ जहा कर में कटौती करके सरकार व्यवसाय और नागरिको को छूट देना चाहती है। ऐसे में व्यय के लिए अतिरिक्त धन जुटाना भी सरकार के लिये एक चुनौती से कम नहीं है।
निष्कर्ष :-
अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये कई सुधारो की आवश्यकता है। हाल ही में आयी परेशानी हमें यह सिखाती है कि हमें किसी भी समस्या से लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिये और किये गए सुधारो को मजबूती से लागू करना चाइये।
हम सभी ने 2025 तक भारत को 5 खरब की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना देखा है लेकिन यह सपना अभी बहुत दूर दिख रहा है। 2019 में भारत की अर्थव्यवस्था 2.7 खरब की थी। 5 खरब की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य पाने के लिए हमें अगले 6 वर्षो तक 9% की दर से विकास करना होगा। जब विकास होगा तभी नौकरिया और रोज़गार होगा।
REFERENCE :- https://www.thehindu.com/opinion/editorial/
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