जलवायु संकट एक अस्तित्वगत खतरे में बदल गया है, जो मुख्य रूप से उन विकासशील देशों को प्रभावित करता है जिनके पास इसके प्रभावों को कम करने और अनुकूलन करने के लिए संसाधनों की कमी है। अंतरराष्ट्रीय जलवायु संवाद के केंद्र में जिम्मेदारी और क्षतिपूर्ति का सवाल है। यह 27वें कॉन्फ्रेंस ऑफ़ द पार्टीज़ (COP27) में उजागर हुआ, जहां “लॉस एंड डैमेज फंड” (Loss and Damage Fund) की स्थापना पर सहमति बनी। यह ऐतिहासिक निर्णय विकासशील देशों के लिए दूरगामी प्रभाव डालता है।
लॉस एंड डैमेज (Loss and Damage Fund) क्या है?
लॉस एंड डैमेज (Loss and Damage Fund) का तात्पर्य जलवायु परिवर्तन के उन प्रतिकूल प्रभावों से है, जो समुदायों की अनुकूलन क्षमता और पुनर्प्राप्ति से परे हैं। इसमें आर्थिक हानियां जैसे कि बुनियादी ढांचे, फसलों और संपत्ति को नुकसान, और गैर-आर्थिक हानियां जैसे सांस्कृतिक विरासत, जैव विविधता और जीवन का नुकसान शामिल हैं। लॉस एंड डैमेज की अवधारणा इस वास्तविकता को उजागर करती है कि मजबूत शमन और अनुकूलन रणनीतियों के बावजूद, कुछ जलवायु प्रभाव अपरिहार्य हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ
लॉस एंड डैमेज (Loss and Damage Fund) को संबोधित करने का विचार नया नहीं है। इसे पहली बार 1991 में स्मॉल आइलैंड स्टेट्स के एलायंस (AOSIS) द्वारा उठाया गया था, जो समुद्र के बढ़ते स्तर और चरम मौसम की घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों की कमजोरियों पर जोर देता है। वर्षों से, यह विषय गति प्राप्त करता गया, और 2015 के पेरिस समझौते में इसे औपचारिक रूप से मान्यता मिली, जिसने “लॉस एंड डैमेज को टालने, न्यूनतम करने और संबोधित करने” का आह्वान किया।
हालांकि, इसे क्रियान्वित करने का तंत्र COP27 तक अधूरा था, जहां लॉस एंड डैमेज फंड की स्थापना गहन वार्ताओं के बाद हुई।
COP27 का निर्णय
शर्म अल-शेख, मिस्र में आयोजित COP27 में, देशों ने अंततः लॉस एंड डैमेज के लिए एक समर्पित फंड बनाने पर सहमति व्यक्त की। यह समझौता वैश्विक जलवायु न्याय में एक महत्वपूर्ण कदम था, जो जलवायु-प्रेरित आपदाओं के कारण कमजोर देशों पर असमान बोझ को स्वीकार करता है।
प्रमुख निर्णयों में शामिल हैं:
- फंडिंग तंत्र: वित्तपोषण के स्रोतों की पहचान करने के लिए एक ढांचा, जिसमें विकसित देशों, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और संभावित नवीन स्रोतों जैसे कि जीवाश्म ईंधन लाभ पर कर शामिल हैं।
- पात्रता: विशेष रूप से जलवायु प्रभावों के प्रति सबसे कमजोर विकासशील देशों को वित्तीय सहायता के लिए प्राथमिकता दी जाएगी।
- कार्यान्वयन समयरेखा: फंड का संचालन 2024 तक शुरू होने की उम्मीद है, जिसमें शासन, वित्तपोषण स्रोतों और वितरण मानदंडों पर चर्चा चल रही है।
विकासशील देशों के लिए फंड (Loss and Damage Fund) क्यों महत्वपूर्ण है?
1. जलवायु पुनर्प्राप्ति के लिए वित्तीय सहायता
विकासशील देश, जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में न्यूनतम योगदान करते हैं, जलवायु आपदाओं का सबसे अधिक खामियाजा भुगतते हैं। लॉस एंड डैमेज फंड का उद्देश्य बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण, प्रभावित समुदायों का पुनर्वास, और आजीविका को पुनर्स्थापित करने के लिए वित्तीय राहत प्रदान करना है। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान जैसे देश, जिसने 2022 में विनाशकारी बाढ़ का सामना किया, इससे अत्यधिक लाभ उठा सकते हैं।
2. जलवायु वित्त में असमानताओं को संबोधित करना
जलवायु वित्त ने पारंपरिक रूप से शमन और अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित किया है। हालांकि, ये जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली अपरिवर्तनीय हानियों को संबोधित नहीं करते हैं। लॉस एंड डैमेज फंड इस महत्वपूर्ण अंतर को भरता है, जो कमजोर देशों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संसाधनों का अधिक न्यायसंगत आवंटन सुनिश्चित करता है।
3. वैश्विक एकजुटता को उत्प्रेरित करना
यह फंड वैश्विक एकजुटता का प्रतीक है, जो जलवायु परिवर्तन का कारण बनने में विकसित देशों की नैतिक और ऐतिहासिक जिम्मेदारी को स्वीकार करता है। यह राष्ट्रों के बीच विश्वास को भी बढ़ावा देता है, जो जलवायु संकट से निपटने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों के लिए आवश्यक है।
हाल के संशोधन और प्रगति
लॉस एंड डैमेज फंड पर चर्चा हाल के महीनों में काफी प्रगति कर चुकी है। प्रमुख अपडेट में शामिल हैं:
1. सैंटियागो नेटवर्क फॉर लॉस एंड डैमेज
सैंटियागो नेटवर्क, जिसका उद्देश्य कमजोर देशों को तकनीकी सहायता प्रदान करना है, को लॉस एंड डैमेज फंड के साथ संरेखित किया गया है। यह नेटवर्क देशों को उनकी आवश्यकताओं का आकलन करने और संसाधनों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने में मदद करेगा।
2. वित्तपोषण स्रोत
विकसित देशों ने वित्तपोषण के विविध स्रोतों का प्रस्ताव दिया है, जिनमें शामिल हैं:
- जीवाश्म ईंधन कंपनियों के मुनाफे पर कर लगाना।
- अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के जलवायु बजट का एक हिस्सा आवंटित करना।
- वैश्विक कार्बन कर पेश करना।
3. निजी क्षेत्र की भागीदारी
निजी संस्थाओं और परोपकारी संगठनों को फंड में योगदान देने के लिए शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे इसके वित्तीय आधार में विविधता आए।
4. उभरती अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका
इस पर बहस तेज हो गई है कि चीन और भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को फंड में योगदान देना चाहिए या नहीं। ये राष्ट्र तर्क देते हैं कि उनके ऐतिहासिक उत्सर्जन विकसित देशों की तुलना में बहुत कम हैं, और उनका योगदान स्वैच्छिक होना चाहिए।
फंड को लागू करने की चुनौतियां
लॉस एंड डैमेज फंड की स्थापना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कई चुनौतियां हैं:
1. लॉस एंड डैमेज (Loss and Damage Fund) को परिभाषित करना
लॉस एंड डैमेज की सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा की कमी पात्रता का आकलन करने और आवश्यकताओं को मापने की प्रक्रिया को जटिल बनाती है।
2. पर्याप्त वित्तपोषण सुरक्षित करना
पर्याप्त संसाधनों को जुटाना एक बड़ी बाधा है। विकसित देश ऐतिहासिक रूप से अपनी जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहे हैं, जिससे नए फंड में योगदान की विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
3. शासन और जवाबदेही
पारदर्शिता, जवाबदेही, और फंड का समान वितरण सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए मजबूत शासन संरचनाओं और संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के तंत्र की आवश्यकता है।
4. हितों को संतुलित करना
विकसित और विकासशील देशों के विविध हितों को समेटना एक सतत चुनौती है। जबकि कमजोर राष्ट्र त्वरित कार्रवाई की मांग करते हैं, दाता देश जवाबदेही और फंड के प्रभावी उपयोग पर जोर देते हैं।
भारत के लिए प्रभाव
एक विकासशील देश के रूप में भारत लॉस एंड डैमेज फंड से लाभ उठा सकता है। अपनी विशाल आबादी और विविध भौगोलिक क्षेत्र के साथ, भारत बाढ़, चक्रवात और हीटवेव सहित जलवायु-प्रेरित आपदाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील है। यह फंड भारत के पुनर्प्राप्ति प्रयासों का समर्थन कर सकता है और कमजोर क्षेत्रों में लचीलापन बढ़ा सकता है।
हालांकि, भारत को राजनयिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है क्योंकि विकसित देश उभरती अर्थव्यवस्थाओं को फंड में योगदान देने के लिए प्रेरित करते हैं। अपनी विकासात्मक प्राथमिकताओं को अंतरराष्ट्रीय अपेक्षाओं के साथ संतुलित करना सावधानीपूर्वक बातचीत की मांग करेगा।
लॉस एंड डैमेज (Loss and Damage Fund) से निपटने में प्रौद्योगिकी की भूमिका
प्रौद्योगिकी नवाचार लॉस एंड डैमेज से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सैटेलाइट इमेजरी, और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी उभरती तकनीकें जलवायु प्रभावों की भविष्यवाणी करने और प्रभावी प्रतिक्रिया रणनीतियां तैयार करने में मदद कर सकती हैं।
1. अर्ली वार्निंग सिस्टम
उन्नत प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियां जीवन को बचा सकती हैं और चक्रवात, बाढ़, और हीटवेव जैसी चरम मौसम की घटनाओं की भविष्यवाणी करके संपत्ति को नुकसान को न्यूनतम कर सकती हैं। ये प्रणालियां समय पर निकासी और आपदा तैयारी को सक्षम बनाती हैं, जिससे लॉस एंड डैमेज की गंभीरता कम होती है।
2. जलवायु-लचीला बुनियादी ढांचा
सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग में नवाचार जलवायु-लचीला बुनियादी ढांचा निर्माण को सुविधाजनक बना सकता है। उदाहरण के लिए, बाढ़-प्रतिरोधी सामग्री का उपयोग करना और चरम मौसम की स्थिति का सामना करने के लिए भवनों को डिजाइन करना समुदायों की कमजोरियों को कम कर सकता है।
3. फंड आवंटन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म (Loss and Damage Fund)
ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी द्वारा संचालित डिजिटल प्लेटफॉर्म फंड के पारदर्शी और कुशल आवंटन को सुनिश्चित कर सकते हैं। वित्तीय संसाधनों के प्रवाह को वास्तविक समय में ट्रैक करके, ये प्लेटफॉर्म भ्रष्टाचार को रोक सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सहायता लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचे।
लॉस एंड डैमेज के केस स्टडी
लॉस एंड डैमेज के वास्तविक दुनिया के उदाहरणों की जांच करना अंतरराष्ट्रीय सहायता की प्रभावशीलता और एक समर्पित फंड की आवश्यकता पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।
1. पाकिस्तान की 2022 की बाढ़
2022 में, अभूतपूर्व मानसूनी बारिश ने पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ का कारण बना, जिससे 33 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए। इस आपदा ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण और प्रभावित समुदायों का समर्थन करने के लिए तत्काल वित्तीय सहायता की आवश्यकता को उजागर किया। एक समर्पित लॉस एंड डैमेज फंड ने पुनर्प्राप्ति प्रयासों में तेजी ला सकती थी।
2. मोज़ाम्बिक में साइक्लोन इडाई
2019 में मोज़ाम्बिक में आए साइक्लोन इडाई ने व्यापक जीवन और संपत्ति का नुकसान किया। पर्याप्त वित्तीय संसाधनों की कमी ने पुनर्प्राप्ति में देरी की और जलवायु-प्रेरित आपदाओं के प्रति विकासशील राष्ट्रों की कमजोरियों को उजागर किया।
3. छोटे द्वीप राज्यों में समुद्र स्तर में वृद्धि
किरिबाती और तुवालु जैसे छोटे द्वीप विकासशील राज्य समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण अस्तित्वगत खतरों का सामना कर रहे हैं। इन देशों को समुदायों को स्थानांतरित करने और उनकी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए वित्तीय सहायता की तत्काल आवश्यकता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना
लॉस एंड डैमेज फंड की सफलता मजबूत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर निर्भर करती है। देशों को भू-राजनीतिक मतभेदों को अलग रखना चाहिए और सामूहिक भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए। प्रमुख कदमों में शामिल हैं:
1. मल्टीलेटरलिज्म को बढ़ावा देना
UNFCCC जैसे बहुपक्षीय संस्थानों को मजबूत करना सहमति निर्माण की सुविधा प्रदान कर सकता है और फंड के कार्यान्वयन में तेजी ला सकता है।
2. क्षेत्रीय सहयोग
क्षेत्रीय साझेदारियां देशों को संसाधनों को पूल करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बना सकती हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण एशियाई देश आपदा तैयारी और जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे पर सहयोग कर सकते हैं।
3. सिविल सोसाइटी को शामिल करना
सिविल सोसाइटी संगठन जलवायु न्याय की वकालत करने और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के कार्यान्वयन की निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी भागीदारी फंड की शासन व्यवस्था में जवाबदेही और समावेशिता सुनिश्चित कर सकती है।
आगे का रास्ता
लॉस एंड डैमेज फंड जलवायु न्याय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। इसकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए, निम्नलिखित कदम आवश्यक हैं:
1. स्पष्ट परिचालन दिशानिर्देश
फंड आवंटन और उपयोग के लिए पारदर्शी मानदंड स्थापित करना विवादों से बचने और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
2. नवीन वित्तपोषण तंत्र
जलवायु बॉन्ड और उच्च-उत्सर्जन उद्योगों पर कर जैसे नवीन वित्तपोषण स्रोतों की खोज फंड के वित्तीय आधार को बढ़ा सकती है।
3. कमजोर देशों में क्षमता निर्माण
कमजोर देशों में संस्थागत और तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करना उन्हें फंड तक प्रभावी ढंग से पहुंचने और उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।
4. वैश्विक सहयोग
राष्ट्रों, बहुपक्षीय संस्थानों, और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देना फंड की दीर्घकालिक व्यवहार्यता के लिए महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
लॉस एंड डैमेज फंड (Loss and Damage Fund) उन विकासशील देशों के लिए आशा की किरण है जो जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों से जूझ रहे हैं। यह “सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों” के सिद्धांत की लंबे समय से प्रतीक्षित स्वीकृति को दर्शाता है। जबकि चुनौतियां बनी हुई हैं, फंड का सफल कार्यान्वयन एक अधिक न्यायसंगत और सतत भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
जैसा कि दुनिया बढ़ते जलवायु प्रभावों के लिए तैयार हो रही है, लॉस एंड डैमेज फंड (Loss and Damage Fund) सामूहिक कार्रवाई की तात्कालिकता और सबसे कमजोर लोगों की आवाज़ों और जरूरतों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। विकासशील देशों के लिए, यह केवल वित्तीय सहायता के बारे में नहीं है, बल्कि न्याय, गरिमा, और अस्तित्व के बारे में भी है।
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