RBI’s Monetary Policy Review in Hindi पर हमारी आज की पोस्ट आधारित है। यह पोस्ट UPSC सिविल सेवा जैसे कई प्रतियोगी परीक्षाओँ के लिये उपयोगी है। भारतीय रिज़र्व बैंक से सम्बन्धित कई प्रश्न पिछले पेपर्स में पूछे गये है। इस पोस्ट में हम जानेंगे की वर्तमान में RBI की मौद्रिक नीति क्या है तथा यह किस प्रकार भारत की अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति को प्रभावित कर रही है।
RBI’s Monetary Policy Review in Hindi:-
हल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक ने नरमी का रुख अपनाते हुए, अपनी नीतिगत दरो को यथावत रखा है। भारतीय रिज़र्व बैंक के इस फैसले के बाद रेपो रेट 4 फीसदी तथा तथा रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बना हुआ है। इसके साथ ही RBI गवर्नर ने वित्तीय वर्ष 2021-2022 में जीडीपी 10.5 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया है। आइये जानते है की रेपो रेट एयर रिवर्स रेपो रेट क्या होता है।
रेपो रेट – इस दर पर भारतीय रिज़र्व बैंक बैंको को लोन देता है।
रिवर्स रेपो रेट – यह वो रेट है जिस पर भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य बनो से लोन लेता है।
केंद्रीय बैंक की हाल ही में प्रकाशित मौद्रिक नीति के मायने:-
कोरोना काल में एक तरफ जहाँ देश की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं है वही दूसरी और भारतीय सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने आपसी समन्वय से कार्य किया है। हाल ही में प्रकाशित मौद्रिक नीति में RBI ने नरमी दिखते हुए रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है जो की एक अच्छा संकेत है। रेपो रेट में बढ़ोतरी ना करने से लोन्स के रेट में भी बढ़ोतरी नहीं होगी। यह आम जनता के लिए राहत की बात है।
लेकिन एक स्तिथि को बनाये रखने के लिये हमें चाहिये की हम महंगाई दर को भी सिमित रखे जो कि 6 फीसदी से कम होनी चाहिये। ऐसा होने पर ही सरकार के द्धारा बजट में की गयी घोषणाओं का असर होग और की आर्थिक स्तिथि मजबूत होगी।
यहाँ एक और पॉइंट है कि हमारे देश में महंगाई की समस्या मुख्यतया COMMODITIES या आयत के कारण बढ़ती है। RBI को चाहिए की वो महंगाई पर इतना ध्यान न देकर जीडीपी पर धायण दे जिससे वास्तविक उन्नति हो पायेगी।
भारत की अर्थव्यवस्था में MSME क्षेत्र का महत्वपूर्ण स्थान है। हाल ही में सरकार ने MSME क्षेत्र को 2022 तक ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने की बात है। निश्चय ही इससे देश की इकॉनमी को BOOST मिलेगा। इससे खपत को बढ़ावा मिलेगा तथा इकॉनमी में मुद्रा प्रसारण में भी मदद मिलेगी।
FDI में हुई बढ़ोतरी भी एक अच्छा संकेत है जो विदेशी निवेश के बढ़ने की और संकेत करता है। इसके अलावा RBI को चाहिये को वो REAL EXCHANGE RATE को भी स्थिर रखे जिससे आयत सस्ता ना हो। मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी को एक्सटेंड करने का सर्कार का फैसला भी उचित है। इस से बैंको को BAD LOANS को रिकवर करने में मुश्किल नहीं होगी।
निष्कर्ष:-
मौद्रिक नीति में लचीलेपन को अपनाना केंद्रीय बैंक की अच्छी नीति है इससे ना सरकार को अपनी बजट घोषणाओं को पूरा करने में मदद मिलेगी बल्कि देश के विकास की रफ़्तार भी तेज होगी।
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