हेलो दोस्तों, सिविल सर्विसेज हब पर आपका स्वागत है। दोस्तों आपने RTI के बारे में तो सुना ही होगा। क्या आपने कभी सोचा है की यह है क्या? इसका क्या उपयोग है तथा इसे क्यों बनाया गया है? लोकतंत्र में इसका क्या उपयोग है? इस सभी सवालो का जवाब आज हम अपनी RTI Ka Full Form – Brief Overview of RTI पोस्ट में देंगे। तो पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिये लेख को अंत तक पढ़े।
RTI Ka Full Form:-
आरटीआई की फुल फॉर्म इन हिंदी – सुचना का अधिकार
RTI Full form in English – Right to Information
आरटीआई फुल फॉर्म से सम्बंधित अन्य शब्द –
RTI Full form in Medical – रिवर्स ट्रांस्क्रिप्टेज़ इनहिबिटर (Reverse Transcriptase Inhibitor)
आरटीआई संक्षिप्त विवरण (Brief Overview of RTI):-
आरटीआई है क्या (What RTI Stands For):-
सूचना का अधिकार (RTI) भारत की संसद का एक कानून है जो सूचना के अधिकार से संबंधित नियमों और प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है। आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत, भारत का कोई भी नागरिक “लोक प्राधिकरण” (सरकार का निकाय या “राज्य के साधन”) से सूचना का अनुरोध कर सकता है। इस सुचना को माँगने पर इसे तीस दिनों के भीतर उपलब्ध करवाना आवश्यक है।
इतना ही नहीं याचिकाकर्ता के जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े मामले में, सूचना 48 घंटे के भीतर प्रदान की जानी आवश्यक है। इस अधिनियम के तहत प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण को अपने रिकॉर्ड को कम्प्यूटरीकृत करने और सूचना की कुछ श्रेणियों को नियमित रूप से प्रकाशित करने की आवश्यकता होती है। यह इसलिए आवश्यक है ताकि एक ही प्रकार की जानकरी के लिये लोग अलग-अलग याचिका न लगाये।
आरटीआई अधिनियम की शुरुआत:-
सूचना के अधिकार की शुरुआत वर्ष 2005 में की गयी थी। इस अधिनियम के द्धारा इसने पूर्व के सूचना की स्वतंत्रता अधिनियम, 2002 को प्रतिस्थापित कर दिया गया था। आरटीआई विधेयक 15 जून 2005 को भारत की संसद द्धारा पारित किया गया था और 12 अक्टूबर 2005 से प्रभावी हुआ था।
हर दिन औसतन 4800 से अधिक आरटीआई आवेदन दायर किए जाते हैं। अधिनियम के प्रारंभ के पहले दस वर्षों में 17,500,000 से अधिक आवेदन दायर किए गए थे।
Right to Information Act Download
आरटीआई किस पर लागू नहीं है (Where RTI is Not Applicable) :-
सुचना का अधिकार अधिनियम के अनुसार याचिकाकर्ता सभी सार्वजनिक प्राधिकरण सार्जनिक प्राधिकरणों से जानकारी माँग सकता है। आरटीआई केवल सरकारी विभागों और सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ ही माँगी जा सकती है। यह अधिनियम निजी कम्पनी पर लागू नहीं होता है।
RTI अधिनियम के तहत निम्न जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती है –
वह जानकारी जिसे देने से भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और अखंडता प्रभावित होती हो।
जानकारी जो माननीय न्यायलय की अवमानना का कारण बन सकती हो।
ऐसी सूचना जो संसद या राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार का हनन करे।
ऐसी जानकारी जिनका प्रकटीकरण किसी तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धी स्थिति को नुकसान पहुंचाए।
किसी व्यक्ति को उसके विवादास्पद संबंध में जानकारी तब दी जाती है जब सक्षम अधिकारी इस बात से संतुष्ट हो कि इन जानकरी से व्यापक स्तर पर जनहित प्रभावित होगा।
विदेशी सरकारों से विश्वास में प्राप्त जानकरी।
ऐसी जानकारी जिसके देने से किसी भी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो।
अपराधियों की जांच या आशंका या अभियोजन की प्रक्रिया को बाधित करने से सम्बंधित जानकारी।
सरकार के कैबिनेट के विचार-विमर्श के पेपर्स।
ऐसी निजी जानकारी जिसे देने से जनहित प्रभावित न हो।
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आरटीआई कार्यकर्ता कौन है? (Who is RTI Activist):-
RTI Application Form in Hindi Download
आरटीआई कार्यकर्ता भारत में मानवाधिकार रक्षक (एचआरडी) हैं। अन्य एचआरडी के विपरीत, आरटीआई के अधिकांश कार्यकर्ता किसी संगठन का हिस्सा नहीं हैं। वे भ्रष्टाचार और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ अक्सर अकेले काम ही काम करते है। इन्हे अक्सर व्हिसलब्लोअर के नाम से भी पुकारा जाता है।
आरटीआई कार्यकर्ता कमजोर हैं क्योंकि वे सार्वजनिक प्राधिकरणों और राजनीतिक नेताओं के खिलाफ उन्ही के क्षेत्र में रहकर कार्य करते है। ये सार्वजनिक प्राधिकरण और राजनेता कभी नहीं चाहते कि उनकी गोपनीय जानकारी आम जनता को पता चले।
मानवाधिकार रक्षकों को मीडिया का ध्यान केवल तब मिलता है जब या तो उन्हें मार दिया जाता है या गंभीर रूप से घायल कर दिया जाता है। जब आरटीआई कार्यकर्ताओं द्धारा शिकायत की जाती है, तो कानून प्रवर्तन कर्मी (जो अक्सर भ्रष्ट अधिकारियों से मिले हुए होते हैं) उचित कार्रवाई नहीं करते हैं।
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में भी व्हिसलब्लोअर को अपर्याप्त संरक्षण प्रदान करता है। वही दूसरी और केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों को ऐसे खतरों या हमलों से निपटने के लिये सुरक्षा प्रदान करने का अधिकार नहीं है। कई सूचना आयोगों और राज्य सरकारों के निर्देशों के बावजूद आरटीआई उपयोगकर्ताओं पर हमले बंद नहीं हुए हैं।
आरटीआई एप्लीकेशन ऑनलाइन सबमिट करने का प्रोसेस:-
आप निम्न ऑनलाइन प्रोसेस के द्धारा आरटीआई आवेदन कर सकते है –
सबसे पहले आरटीआई की आधिकारिक वेबसाइट को अपने ब्राउज़र में ओपन कर ले –https://rtionline.gov.in
अब वेबसाइट के मैन मेन्यू में सबमिट रिक्वेस्ट ऑप्शन पर क्लिक करे। अब अनुदेशों की एक लिस्ट आपके सामने ओपन होगी। इन्हे पढ़कर I accept बटन पर क्लिक कर दे और सबमिट बटन पर क्लिक करे।
अब आपके स्क्रीन पर एक फॉर्म खुलेगा जिसमे आपको जानकारी के विभाग आदि के बारे जानकारी देनी होगी।
फॉर्म को अच्छी तरह से भर कर सबमिट कर दे। इसके बाद आपके मोबाइल पर एक रजिस्ट्रेशन मैसेज आएगा। इस रजिस्ट्रेशन मैसेज को आप भविष्य के उपयोग के लिये सुरक्षित रख सकते है।
फॉर्म सबमिट करने के बाद आपको फीस भरनी होती है जो अलग राज्यों में अलग-अलग है। राजस्थान में यह फीस 10 रुपया है।
आरटीआई अधिनियम की आवश्यकता:-
कई कार्यकर्ता सूचना के अधिकार अधिनियम को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से अंतिम मुक्ति के रूप में देखते हैं। वे आरटीआई कानून को “आम नागरिकों को सशक्त बनाने और इसे पारदर्शी, कम भ्रष्ट, सहभागितापूर्ण और जवाबदेह बनाकर शासन की संस्कृति को बदलने के लिए एक उपकरण” के रूप में वर्णित करते हैं ।
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