आज के डिजिटल युग में स्क्रीन हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुकी हैं। स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट और टेलीविजन जैसे उपकरणों ने जीवन को आसान तो बनाया है, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं। इनमें से सबसे अहम समस्या है—नींद में खलल। यह लेख विस्तार से समझाएगा कि सोने से पहले स्क्रीन टाइम क्यों आपकी नींद को प्रभावित कर रहा है (Why Your Phone Is Stealing Your Sleep), और यह UPSC के तैयारी करने वाले छात्रों के लिए क्यों जानना जरूरी है।
UPSC अभ्यर्थियों के लिए नींद क्यों महत्वपूर्ण है?
इससे पहले कि हम समझें कि स्क्रीन टाइम नींद को कैसे प्रभावित करता है, यह जान लेना जरूरी है कि UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए अच्छी नींद क्यों जरूरी है।

- याददाश्त मजबूत होती है: नींद हमारे दिमाग में जानकारी को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करती है।
- ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है: नींद की कमी से ध्यान भटकता है और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर पड़ती है।
- मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है: पर्याप्त नींद तनाव और चिंता को कम करती है।
- शारीरिक स्वास्थ्य मजबूत रहता है: अच्छी नींद से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है।
इसलिए UPSC जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी में नींद को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी है।
स्क्रीन टाइम क्या है?
स्क्रीन टाइम का मतलब है—कितना समय आप डिजिटल स्क्रीन वाले उपकरणों (जैसे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टीवी) पर बिताते हैं। पढ़ाई के लिए इन उपकरणों का प्रयोग जरूरी हो सकता है, लेकिन रात को सोने से पहले ज्यादा स्क्रीन देखना आपकी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
नींद का विज्ञान और सर्कैडियन रिद्म
नींद कैसे काम करती है, यह समझना जरूरी है:
- हमारा शरीर एक 24 घंटे की बायोलॉजिकल क्लॉक (circadian rhythm) पर चलता है।
- यह क्लॉक नींद और जागने का चक्र नियंत्रित करती है, जिसे मेलाटोनिन हार्मोन संचालित करता है।
- अंधेरा मेलाटोनिन को बढ़ाता है, जिससे नींद आती है।
- रोशनी, खासकर नीली रोशनी, मेलाटोनिन को दबा देती है और हमें जाग्रत रखती है।
यही कारण है कि स्क्रीन देखने से हमारी नींद प्रभावित होती है, क्योंकि स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पादन को कम कर देती है।
ब्लू लाइट का असर
अधिकांश डिजिटल स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट उच्च ऊर्जा और छोटी तरंग लंबाई वाली होती है।
ब्लू लाइट कैसे नींद को प्रभावित करती है?
- मेलाटोनिन को कम करती है: शरीर को दिन होने का भ्रम देती है।
- REM नींद में देरी करती है: यह वह गहरी नींद होती है जो याददाश्त और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
- नींद की अवधि कम करती है: स्क्रीन देखते-देखते देर हो जाती है।
- नींद की गुणवत्ता घटती है: नींद आती है लेकिन ताजगी नहीं मिलती।
UPSC छात्रों की आम गलतियां
बहुत से UPSC स्टूडेंट्स अनजाने में कुछ आदतें अपनाते हैं जो स्क्रीन टाइम बढ़ा देती हैं:

- पढ़ाई के बाद सोशल मीडिया स्क्रॉल करना।
- देर रात तक यूट्यूब वीडियो देखना।
- ई-बुक्स या PDF मोबाइल पर पढ़ना बिना नाइट मोड के।
- Telegram या WhatsApp पर चर्चा करना।
- सीरीज या गेम्स खेलना ताकि तनाव कम हो।
ये आदतें पढ़ाई में सहायक लग सकती हैं, लेकिन वास्तव में नींद को नुकसान पहुंचाती हैं।
मानसिक प्रभाव
रात में स्क्रीन देखने से सिर्फ जैविक घड़ी नहीं, बल्कि मानसिक सेहत पर भी असर पड़ता है:
- अत्यधिक जानकारी से दिमाग ओवरलोड हो जाता है।
- चिंता और तनाव बढ़ जाता है, खासकर सोशल मीडिया के कारण।
- भावनात्मक अस्थिरता पैदा होती है, जिससे पढ़ाई में मन नहीं लगता।
वैज्ञानिक अध्ययन क्या कहते हैं?
- Harvard Medical School (2014): जो लोग रात में ई-रीडर से पढ़ते थे, उन्हें नींद आने में देर लगती थी और अगली सुबह वे थके हुए महसूस करते थे।
- Sleep Health Journal (2017): जो किशोर रात को स्क्रीन का उपयोग करते थे, उन्हें नींद की गुणवत्ता में गिरावट महसूस हुई।
- Journal of Clinical Sleep Medicine: केवल 2 घंटे की नीली रोशनी भी मेलाटोनिन उत्पादन को काफी हद तक कम कर देती है।
इसलिए यह प्रमाणित है कि स्क्रीन टाइम और नींद के बीच सीधा संबंध है।
UPSC छात्रों में बनने वाला नकारात्मक चक्र
- लंबे समय तक पढ़ाई → मानसिक थकावट
- स्क्रीन का उपयोग करने का बहाना → सोशल मीडिया में फंस जाना
- नींद में देरी → अगली सुबह थकावट
- कम उत्पादकता → और ज्यादा स्क्रीन-आधारित पढ़ाई
- चक्र चलता रहता है…
यह चक्र धीरे-धीरे आपकी फोकस, स्वास्थ्य और तैयारी को कमजोर करता है।
समाधान: सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम कैसे करें?
यदि आप अपने स्वास्थ्य और UPSC की तैयारी को गंभीरता से लेना चाहते हैं, तो नीचे दिए उपायों को अपनाएं:
1. डिजिटल कर्फ्यू तय करें
- सोने से 1 से 1.5 घंटे पहले स्क्रीन से दूर रहें।
- इस समय का उपयोग ऑफलाइन गतिविधियों जैसे डायरी लेखन, योजना बनाने में करें।
2. ब्लू लाइट फिल्टर का प्रयोग करें
- मोबाइल में नाइट मोड ऑन करें।
- कंप्यूटर में f.lux जैसे ऐप इस्तेमाल करें।
- चाहें तो ब्लू लाइट ब्लॉकिंग चश्मे पहनें।
3. हार्डकॉपी पुस्तकों का प्रयोग करें
- रात को अध्ययन के लिए प्रिंटेड नोट्स और किताबें ही प्रयोग करें।
4. नींद के अनुकूल माहौल बनाएं

- लाइट धीमी रखें।
- बेडरूम ठंडा, शांत और अंधेरा रखें।
- मोबाइल को कमरे से बाहर रखें।
5. शांत करने वाली दिनचर्या अपनाएं
- प्राणायाम, ध्यान या हल्का योग करें।
- सॉफ्ट म्यूजिक सुनें।
- लैवेंडर जैसे खुशबू वाले तेल का इस्तेमाल करें।
6. रात में क्या देख रहे हैं, इस पर ध्यान दें
- बहस वाले या उत्तेजक वीडियो से बचें।
- लेट नाइट समाचार या रिजल्ट न देखें।
- सिर्फ जरूरत के अनुसार स्क्रीन का उपयोग करें।
UPSC छात्रों के लिए नींद-अनुकूल डेली रूटीन
समय | गतिविधि |
---|---|
5:30 AM | जागना |
6:00 – 8:00 AM | पहली पढ़ाई सत्र |
8:00 – 9:00 AM | नाश्ता + हल्का व्यायाम |
9:00 – 1:00 PM | मुख्य अध्ययन |
1:00 – 2:00 PM | लंच + आराम |
2:00 – 5:00 PM | उत्तर लेखन अभ्यास |
5:00 – 6:00 PM | ब्रेक / टहलना |
6:00 – 8:00 PM | हल्का अध्ययन |
8:00 – 9:00 PM | रात का खाना + अगला दिन योजना |
9:00 – 10:00 PM | नो स्क्रीन ज़ोन |
10:00 PM | सोना |
UPSC में इस विषय की प्रासंगिकता
यह विषय कई जनरल स्टडीज़ पेपर से जुड़ता है:

- GS पेपर II (Governance): मानसिक स्वास्थ्य और जागरूकता।
- GS पेपर III (Science & Technology): तकनीक का प्रभाव।
- Essay Paper: उदाहरण के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
आप अपने उत्तरों में स्क्रीन टाइम और नींद को केस स्टडी के रूप में शामिल कर सकते हैं।
निष्कर्ष
UPSC की तैयारी में सिर्फ कितनी पढ़ाई की, यह मायने नहीं रखता, बल्कि कैसे पढ़ाई की और कैसे जीवनशैली को संतुलित रखा, यह ज्यादा जरूरी है। स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करके आप न केवल अच्छी नींद पा सकते हैं, बल्कि फोकस, याददाश्त और मानसिक शांति भी हासिल कर सकते हैं।
एक सिविल सेवक बनने की दिशा में हर छोटा कदम, जैसे नींद का ख्याल रखना, आपकी सफलता को पक्का करता है।
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