Dietary Therapy For Cancer | In Hindi |

हेलो दोस्तों सिविल सर्विसेज हब के बायोलॉजी सेक्शन में आपका स्वागत है। RIKEN सेंटर फॉर बायोसिस्टम्स डायनामिक्स रिसर्च (BDR) के एक शोध समूह ने आणविक घटनाओं की खोज की है जो यह निर्धारित करती है कि कैंसर कोशिकाएं जीवित रहेगी या मर जाएगी। शोधकर्ताओं के अनुसार विशेष डाइट प्लान को अपनाकर कैंसर से लड़ा जा सकता है। इसी रिसर्च के बारे में विस्तृत जानकारी हम Dietary Therapy For Cancer पोस्ट में देंगे। तो सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिये इस पोस्ट को पूरा पढ़े। 

Dietary Therapy for Cancer:-

Dietary Therapy For Cancer

शोधकर्ताओं के समूह ने यह पता लगाया है कि यदि एक विशिष्ठ प्रोटीन के आधार (एमिनो एसिड) को खाने से बचा जाये तो यह कैंसर के रूप में विकसित होने वाली कोशिकाओं के विकास को रोकता है। उनका यह शोध elife नामक एक विज्ञान पत्रिका में छपा है। इस शोध ने कैंसर लिये आहार चिकित्सा की संभावना को बढ़ाया है। 

ट्यूमर क्या होता है (What is Tumor):-

एक ट्यूमर कैंसर कोशिकाओं का एक समूह है जो कई गुना – या अनियंत्रित रूप से फैलता है। कोशिकाओं की संख्या बढ़ाने वाले जीन जब अधिक सक्रिय होते है तो कोशिकाओं का विभाजन अनियंत्रित होता है। ट्यूमर एकल कोशिकाओं से उत्पन्न होते हैं जो बाद में कैंसर बन जाते हैं।   

कोशिका के विभाजन में बदलाव करने वाले इन्ही जीन को ऑन्कोजीन कहा जाता है। इन्ही जीन के कारण कोशिका की मृत्यु भी हो जाती है। किसी एक कोशिका में ऑन्कोजीन उपलब्ध होने के कारण वह कैंसर में नहीं बदल सकती।इस घटना को एक “विफल-सुरक्षित” तंत्र माना जाता है जो कोशिकाओं को आसानी से कैंसर में बदलने से रोकता है।

किसी कोशिका के कैंसर में बदलने के लिये कई अन्य ऑन्कोजेन्स के साथ-साथ कैंसर-दबाने वाले जीन की भी आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया एक चरणबद्ध तरीके से होती है। 

शोध की विस्तृत जानकारी:-

RIKEN BDR में Sa Kan Yoo के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान समूह ने Oncogene Src पर ध्यान केंद्रित किया।उन्होंने मक्खी पर किये गए इस शोध में पाया कि Oncogene Src कोशिका विभाजन को प्रेरित करने के साथ-साथ कोशिका मृत्यु की प्रक्रिया भी समान रूप से चलाता है। 

Dietary Therapy For Cancer

आरएनए हस्तक्षेप के माध्यम से विशिष्ट जीन के कार्य को रोककर, टीम ने पाया कि जीन पी38 कोशिका विभाजन के लिए ज़िम्मेदार है तथा  जीन जेएनके कोशिका की मृत्यु के लिये। इसके अलावा उन्होंने एक अन्य जीन Slpr की भी खोज की जो एक साथ p38 और JNK को सक्रिय करता है।

कैंसर के इलाज के लिए साधारणतया विफल-सुरक्षित तंत्र का सहारा लिया जाता है। शोधकर्ताओं ने मक्खी के लार्वा में मेथियोनीन एमिनो एसिड की मात्रा को कम करके यह पाया कि इससे पी38 जीन नियंत्रित होता है जिससे ऑन्कोजेनेसिस को रोका जा सकता है। 

वैज्ञानिको के अनुसार कैंसर की रोकथाम में यह जीन कितना कारगर है यह तो नहीं कहा जा सकता लेकिन जिन व्यक्तियों में Oncogene Src जीन कैंसर के लिये ज़िम्मेदार है उनमे यह जरूर काम करेगा। उन्होंने यह भी पाया कि Src जीन के साथ-साथ Slpr जीन नियंत्रित सिग्नलिंग मार्ग में मध्यस्थता करता है। 

चूंकि ऑन्कोजेनेसिस की प्रक्रिया को फल मक्खियों और स्तनधारियों दोनों में समान माना जाता है, इसलिए नए निष्कर्ष यह समझाने में मदद कर सकते हैं कि मानव कैंसर कैसे विकसित होता है।

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Reference: “Methionine restriction breaks obligatory coupling of cell proliferation and death by an oncogene Src in Drosophila” by Hiroshi Nishida, Morihiro Okada, Lynna Yang, Tomomi Takano, Sho Tabata, Tomoyoshi Soga, Diana M Ho, Jongkyeong Chung, Yasuhiro Minami and Sa Kan Yoo, 27 April 2021, eLife.
DOI: 10.7554/eLife.59809

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