Hypothermia – Meaning, Cause, Symptoms and Recent Updates | IN HINDI |

हेलो दोस्तों, सिविल सर्विसेज हब में आपका स्वागत है। जैसाकि आप सब जानते है कि हम इस पोर्टल पर आपको विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हुई नयी खोजो के बारे में जानकारी देते है। यह लेख न केवल आपके ज्ञान में वृद्धि करते है बल्कि UPSC पेपर की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस प्रकार आज हम Hypothermia – Meaning, Cause, Symptoms and Recent Updates | IN HINDI | के बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही हम आपको इसी क्षेत्र में हुई नई खोज के बारे में भी बताएँगे। तो आइये शुरू करते है। 

Hypothermia – Meaning, Cause, Symptoms and Recent Updates | IN HINDI |:-

Hypothermia – Meaning, Cause, Symptoms and Recent Updates | IN HINDI |

रीसेंट अपडेट (Recent Update):-

हाल ही के एक नए अध्ययन से पता चला है कि कम तापमान सर्फैक्टेंट की गतिविधि में सुधार करता है। सर्फैक्टेंट एक आणविक मिश्रण होता है जो श्वसन की क्रिया के लिए आवश्यक है। यह खोज बताती है कि हाइपोथर्मिया तीव्र श्वसन सिंड्रोम के लिए एक संभावित उपचार है। गहन देखभाल इकाई रोगियों का दसवाँ हिस्सा इससे ग्रसित होता है। तो इस प्रकार यह खोज गहन देखभाल इकाई रोगियों के लिये राहत प्रदान करने वाली है। 

दुनिया भर में गहन देखभाल इकाई रोगियों के दसवे हिस्से तथा COVID-19 के कई मरीज़ो में तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (ARDS) पैदा हो जाता है। Acute respiratory distress syndrome (ARDS) बीमारी में मरीज़ को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। वैज्ञानिको ने ताज़ा अध्ययन के आधार पर चिकित्सीय हाइपोथर्मिया को इसका एक इलाज बताया है। 

चियारा ऑटिलियो और उनको सहयोगियों के द्धारा किये गये शोध में यही जानकारी मिली है कि आणविक स्तर पर फेफड़ों में चिकित्सीय हाइपोथर्मिया अच्छा काम करता है तथा  एआरडीएस के इलाज में उपयोगी है।ऑटिलियो और उनके सहयोगियों का काम नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में जनवरी 2021 में प्रकाशित हुआ था और मंगलवार 23 फरवरी को आयोजित होने वाली बायोफिजिकल सोसायटी की 65 वीं वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया। 

हाइपोथर्मिया का एआरडीएस का उपयोग:-

हमारे फेफड़ो में सर्फैक्टेंट नाम का एक आणविक मिश्रण होता है जो सांस लेने के लिए बहुत आवश्यक होता है। समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चो में यह सर्फैक्टेंट विकसित नहीं हो पाता है जिससे इन्हे कृत्रिम सर्फैक्टेंट थैरेपी दी जाती है। इन सर्फैक्टेंट की फेफड़ो में संक्रमण या आघात से निष्क्रिय होने की भी संभावना रहती है। 

चिकित्सीय हाइपोथर्मिया में शरीर के तापमान को 33 डिग्री पर स्थिर किया जाता है। इस थैरेपी से समय से पहले जन्मे बच्चो में श्वसन की क्रिया को सुचारु किया जाता है। यह थैरेपी कार्डियक अरेस्ट के रोगियों में भी कारगर साबित हुई है। 

वैज्ञानिको ने प्रयोगशाला में सर्फैक्टेंट की भैतिकी का अध्ययन किया और पाया कि अप्रत्याशित रूप से 33 डिग्री सेल्सियस पर सर्फेक्टेंट की गतिविधि में सुधार आया है। 

टीम ने पाया कि 33 डिग्री सेल्सियस पर, सर्फेक्टेंट की सतह का तनाव कम था, जो फेफड़ों में ऑक्सीजन को प्रवेश को आसान बनाता है। उन्होंने यह भी पाया कि कम तनाव ने सर्फैक्टेंट में अणुओं की गतिविधि को बदल दिया, जिससे रक्त के अणुओं द्धारा सर्फैक्टेंट को बाधित होने से रोका गया। उनके परिणामों से संकेत मिलता है कि “चिकित्सीय हाइपोथर्मिया का उपयोग तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (ARDS) वाले लोगों को सांस लेने में मदद कर सकता है। 

वैज्ञानिको के द्धारा व्यस्को के लिये क सर्फेक्टेंट बनाने के लिए काम किया जा रहा है जो तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम के संदर्भ में काम कर सकता है। 

लेख से सम्बंधित महत्वपूर्ण शब्द:-

हाइपोथर्मिया क्या है (WHAT IS HYPOTHERMIA IN HINDI):-

HYPOTHERMIA एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमे शरीर तापमान बढ़ने के बदले तापमान कम करने लगता है।जिससे शरीर का तापमान कम हो जाता है। शरीर का सामान्य तापमान लगभग 37 डिग्री सेंटीग्रेड होता है परन्तु हाइपोथर्मिया के केस में यह घटकर 35 डिग्री सेंटीग्रेड ही रह जाता है। जब शरीर का तापमान गिरता है, तो दिल, तंत्रिका तंत्र और अन्य अंग सामान्य रूप से काम नहीं कर पाते है। अगर इसका तुरंत इलाज नहीं किया जाये तो  दिल और श्वसन प्रणाली की पूर्ण विफलता होने से मृत्यु भी हो सकती है। 

हाइपोथर्मिया अक्सर ठंडे मौसम के संपर्क में आने या ठंडे पानी में डूबने के कारण होता है। हाइपोथर्मिया के लिए प्राथमिक उपचार शरीर को एक सामान्य तापमान पर वापस गर्म करना होता है। 

ठण्ड लगने के लक्षण (HYPOTHERMIA SYMPTOMS):-

हाइपोथर्मिया से ठण्ड लगने के केस में कंपकंपी होने लगती है। कंपकंपी छूटने का कारण शरीर के द्धारा खुद को ग्राम करने के प्रयास में होती है। यह शरीर का स्वतः रक्षा करने का तरीका है। 

हाइपोथर्मिया के लक्षण निम्न है –

कंपकंपी 

आवाज़ का लड़खड़ाना 

धीमी सांस 

कमजोर नाड़ी

भ्रम या स्मृति हानि

शिशुओं में चमकदार लाल और  ठंडी त्वचा आदि। 

बचने के उपाय (PREVENTION FROM HYPOTHERMIA)-

ठण्डे मौसम में खुदको गर्म रखे। ठण्ड में गर्म कपड़ो से खुदका बचाव करे। 

मदिरा का सेवन न करे। 

तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (ACUTE RESPIRATORY DISTRESS SYNDROME):-

तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (ARDS) तब होता है एक तरल प्रदार्थ एल्वियोली में बनने लगता है। यह तरल पदार्थ  फेफड़ों को पर्याप्त हवा से भरने से रोकता है। जिससे कम ऑक्सीजन रक्तप्रवाह में उपलब्ध हो पाती है। जिससे शरीर के अंग ऑक्सीजन से वंचित हो जाते है और उन्हें कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। 

एआरडीएस आम तौर पर उन लोगों में होता है जो पहले से ही गंभीर रूप से बीमार हैं। सांस लेने में कमी एआरडीएस का मुख्य लक्षण है। आमतौर पर यह बीमारी के कुछ समय बाद विकसित होता है। कई बार यह बीमारी जानलेवा भी हो जाती है। एआरडीएस से बचे लोगों में से कुछ पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, जबकि अन्य अपने फेफड़ों को स्थायी नुकसान का अनुभव करते हैं।

LUNGS SURFACTANT:-

पल्मोनरी सर्फैक्टेंट लिपिड और प्रोटीन का एक मिश्रण है। एपिथिलिअल सेल्स के द्धारा इसका स्त्राव होता है। इसका मुख्य कार्य फेफड़ों में वायु / तरल इंटरफेस में सतह के तनाव को कम करना है। यह द्रव्य एकल सतह का निर्माण करता है। 

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