हेलो दोस्तों, सिविल सर्विसेज हब पर आपका एक बार फिर स्वागत है। दोस्तों आपने ग्लोबल वार्मिंग के बारे में तो सुना ही होगा। दोस्तों एक नए शोध के अनुसार तापमान बढ़ने से खाद्य श्रृंखलाओं की दक्षता कम हो सकती है। इस खाद्य श्रृंखला की दक्षता में हुई कमी से बड़े जानवरो के जीवन पर बड़ा खतरा हो सकता है। आज हम अपने इस Global Warming and Food Chain लेख में यही जानेंगे कि किस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग से खाद्य श्रृंखलाओं को खतरा है। साथ ही जानेंगे की ग्लोबल वार्मिंग और खाद्य श्रृंखला क्या होती है। तो आइये शुरू करते है।
Global Warming and Food Chain:-
वैज्ञानिकों ने एकल-कोशिका वाले शैवाल (पादप प्लवक) से छोटे जानवरों (ज़ोप्लांकटन) में ऊर्जा के हस्तांतरण को मापा। इन ज़ोप्लांकटन के द्धारा पादप प्लवक को खाया जाता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि 4 डिग्री सेल्सियस की तापमान वृद्धि के साथ प्लवक फ़ूड वेब में ऊर्जा हस्तान्तरण 56% तक घट सकता है।
गर्म परिस्थितियाँ चयापचय लागत में वृद्धि कर देती है। जिससे खाद्य श्रृंखला के माध्यम से कम कुशल ऊर्जा प्रवाह होता है और अंततः समग्र बायोमास में कमी आती है। इस निष्कर्ष ने काम कम आकर्षित परिणाम की और ध्यान खींचा है। फाइटोप्लांकटन और ज़ोप्लांकटन उस भोजन की नींव हैं जो मीठे पानी और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का समर्थन करते हैं। मनुष्य भी किसी हद तक इन पर निर्भर है।
शोध का निष्कर्ष:-
यह अध्ययन इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि प्रत्यक्ष प्रमाण है कि उच्च तापमान में वृद्धि की लागत बढ़ जाती है तथा एक खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा का हस्तांतरण सीमित हो जाता है। क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के प्रोफेसर मार्क ट्रिमर का कहना है कि यदि इस प्रयोग में पाए जाने वाले प्रभाव प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणालियों में भी स्पष्ट होते है तो यह इसका पुख्ता सबूत होंगे।
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इस प्रकार ऊर्जा के कम हस्तान्तरण से निचले लेवल पर निर्भर रहने वाले बड़े जानवरो को बड़ा खतरा है। आम तौर पर, खाद्य वेब के एक स्तर पर उत्पादित ऊर्जा का लगभग 10% ही अगले स्तर पर हस्तांतरित हो पाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जीव जीवन भर विभिन्न प्रकार के कार्यों में बहुत अधिक ऊर्जा खर्च करते हैं। जीव भोजन के द्धारा जो ऊर्जा प्राप्त करते है वो उसका केवल एक छोटा सा अंश बायोमास में तब्दील हो पाता है।
गर्म तापमान विकास दर की तुलना में चयापचय दर को तेज कर सकता है। फ़ूड वेब के अगले स्तर पर स्थित शिकारियों के लिये कम ऊर्जा उपलब्ध करवाता है।
Global Warming and Food Chain लेख में प्रयुक्त शब्दों का अर्थ:-
ग्लोबल वार्मिंग:-
पिछले एक से दो शताब्दियों में पृथ्वी की सतह के पास औसत वायु तापमान बढ़ा है। इस घटना को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। जलवायु वैज्ञानिकों ने मौसम से सम्बंधित विभिन्न घटनाओ (जैसे तापमान, वर्षा, और तूफान) और जलवायु पर संबंधित प्रभावों (जैसे महासागर धाराओं और वायुमंडल की रासायनिक संरचना) के विस्तृत अवलोकन का यह जानकारी एकत्र की हैं।
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इन आंकड़ों से संकेत मिलता है कि भूगर्भिक समय की शुरुआत के बाद से पृथ्वी की जलवायु में बहुत परिवर्तन हुआ है। ये बदलाव औद्योगिक क्रांति की शुरुआत के बाद से मानव गतिविधियों के कारण अधिक हुआ है। 2013 में IPCC की एक रिपोर्ट के अनुसार 1880 और 2012 के बीच के अंतराल में वैश्विक औसत सतह के तापमान में लगभग 0.9 ° C (1.5% F) की वृद्धि देखी गई।
2018 में आई एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार मानव और मानव गतिविधियो के कारण तापक्रम के 0.8 से 1.2 ° C (1.4 और 2.2 ° F) के बीच की विश्वव्यापी औसत तापमान वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुई अधिकांश ग्लोबल वार्मिंग के लिये मानवीय गतिविधियों को ही ज़िम्मेदार ठहराया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अगर इसी तरह कार्बन उत्सर्जन बढ़ता रहा तो वैश्विक औसत सतह का तापमान 3 से 4 ° C (5.4 और 7.2 ° F) के बीच वर्ष 2100 तक बढ़ जाएगा। तापमान में अनुमानित वृद्धि भविष्य के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और शमन (गंभीरता में कमी) उपायों पर भी बहुत निर्भर है।
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Reference: “Warming impairs trophic transfer efficiency in a long-term field experiment” 1 March 2021, Nature.
DOI: 10.1038/s41586-021-03352-2