हेलो दोस्तों, सिविल सर्विसेज हब में आपका स्वागत है। दोस्तों इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई, 2021 को होने जा रहा है। यह एक सामान्य घटना न होकर एक विशेष घटना है। इस चंद्र ग्रहण में एक साथ सुपरमून, चंद्र ग्रहण और लाल रक्त चंद्रमा दिखाई देगा। क्या आप जानते है कि लाल रक्त चन्द्रमा क्या होता है? चंद्र ग्रहण किस प्रकार होता है? इसी प्रकार के सभी प्रश्नो के जवाब आज Red Blood Lunar Eclipse लेख में देंगे। तो पूरी जानकारी के लिये लेख को अंत तक पढ़े।
Red Blood Lunar Eclipse:-
किसी भी पूर्णिमा या अमावस्या को चद्रमा पृथ्वी के निकटतम होता है तो ऐसी स्थिति को सुपरमून कहा जाता है। यह तो हिम सब जानते है कि पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा पूरी तरह से गोलाकार नहीं है। इसका अर्थ यह है कि पृथ्वी के चारो और चक्कर लगते समय चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी भी घटती और बढ़ती रहती है। चन्द्रमा की इस कक्षा में जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है तो उस बिंदु को पेरिगी (Perigee) कहा जाता है।
चन्द्रमा के पृथ्वी से निकटतम और दूरस्थ बिंदु के मध्य लगभग 45061 किमी का अंतर होता है। ऐसे में पूर्णिमा के समय जब चन्द्रमा पेरिगी (Perigee) के सबसे निकटतम बिंदु पर होता है तो इसे सुपरमून कहा जाता है। निकटतम बिंदु पर स्थित इस चन्द्रमा को सुपरमून इसलिये कहा जाता है क्योकि निकटतम बिंदु पर होने के कारण चन्द्रमा अपने समान्य आकार से कुछ बड़ा और अधिक चमकीला दिखाई देता है।
चंद्र ग्रहण कैसे और क्यों होता है:-
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के पूरे या उसके किसी हिस्से को ढक लेती है। यह केवल पूर्णिमा के दौरान ही हो सकता है। पृथ्वी की तरह चन्द्रमा का आधा भाग भी हर समय सूर्य के द्वारा प्रकाशित रहता है। पूर्णिमा तब होती है जब चंद्रमा और सूर्य पृथ्वी की दोनों विपरीत दिशाओ में होते हैं। ऐसी स्थिति में पृथ्वी का चमकता हुआ हिस्सा हमें पृथ्वी से स्पष्ट दिखाई देता है।
यदि चंद्रमा की कक्षा पूरी तरह से समतल और एक समान होती तो प्रत्येक पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण होता। लेकिन इसके विपरीत पृथ्वी की कक्षा की तुलना में चन्द्रमा की कक्षा लगभग 5 डिग्री झुकी हुई है। लेकिन प्रत्येक चंद्र कक्षा में दो बार, चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य दोनों के समान क्षैतिज तल पर होता है। यदि इस समान तल कि स्थिति में पूर्णिमा होती है तो तो सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा पर स्थित होंगे।
उपरोक्त स्थिति में चन्द्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है और चंद्र ग्रहण घटित होता है। चंद्र ग्रहण देखने के लिये आपको चंद्र ग्रहण के समय पृथ्वी के उस हिस्से में उपस्थित होना पड़ेगा जहा रात्रि हो। 26 मई 2021 को ग्रहण देखने के लिए सबसे अच्छी जगह प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, एशिया के पूर्वी तट और अमेरिका के पश्चिमी तट का मध्य भाग होगा। शुरुआती कुछ समय का चंद्र ग्रहण अमेरिका के पूर्वी हिस्सों में भी दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण के समय चन्द्रमा लाल क्यों दिखाई देता है:-
जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया से ढक जाएगा तो वह काला हो जाना चाहिए परन्तु यह चंद्र काला ना दिखाई देकर रक्त समान लाल दिखाई देता है। यही कारण है कि पूर्ण चंद्र ग्रहण को लाल या रक्त चंद्रमा कहा जाता है। सूर्य के प्रकाश में दृश्य प्रकाश के सभी रंग समाहित होते है। पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित गैस के कण प्रकाश की नीली तरंग दैर्ध्य को बिखेरने की क्षमता रखते है जबकि लाल तरंग दैर्ध्य प्रकाश इसमें से गुजर जाता है। इस प्रभाव को रेले स्कैटरिंग (Rayleigh Scattering) कहा जाता है।
यही कारण है कि आकाश का रंग हमें पृथ्वी से नीला दिखाई देता है तथा सूर्योदय और सूर्यास्त अक्सर लाल दिखाई देते है। चंद्र ग्रहण के समय लाल प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजर जाता है और चन्द्रमा की ओर मुड़ जाता है। नीली रौशनी को वायुमण्डल के द्वारा फ़िल्टर कर लिया जाता है। यही कारण है कि चन्द्रमा ग्रहण के समय हल्का लाल रंग का दिखाई देता है।
अगर आपको इस चंद्र ग्रहण को देखने का मौका मिले इस अंतरिक्ष घटना को अवश्य देखे। इसे देखकर आपको यह एहसास होगा कि अंतरिक्ष की घटनाएं कितनी सटीक और अद्भुत है।
Originally published on The Conversation.