सिविल सर्विसेज हब पर आपका स्वागत है। वस्तु एवं सेवा कर परिषद (GST) की 47वीं बैठक मंगलवार को चंडीगढ़ में शुरू हुई। 1 जुलाई, 2017 को लागू होने वाली इस कर प्रणाली को लगभग 5 वर्ष पूरे होने को है। इन पांच वर्षों में, जीएसटी सेटअप कई बदलावों से गुजरा है। वर्तमान में चल रही दो दिवसीय बैठक में राज्यों को जीएसटी मुआवजे तथा कुछ वस्तुओ पर कर लगाने और हटाने के बारे में निर्णय हो सकता है। आज के What is the GST Council लेख में हम समझेंगे कि वास्तु एवं सेवा कर परिषद् (GST) है क्या तथा इसका गठन किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये किया गया है।
What is the GST Council?
2016 में संसद के दोनों सदनों द्वारा संवैधानिक (122 वां संविधान संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद माल और सेवा कर व्यवस्था लागू हुई। 15 से अधिक भारतीय राज्यों ने तब अपने राज्य विधानसभाओं ने इसे अपनी सहमति दी, जिसके बाद राष्ट्रपति ने अपनी सहमति दी।
जीएसटी परिषद – केंद्र और राज्यों का एक संयुक्त मंच जिसे संविधान के अनुच्छेद 279 ए (1) के संशोधन के द्वारा बनाया गया है। परिषद के सदस्यों में केंद्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय राज्य मंत्री सदस्य तथा अन्य राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य होते है। राज्य वित्त मंत्री की जगह किसी अन्य मंत्री को भी नामित कर सकता है।
Why was the Council set up?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 279 के अनुसार परिषद, जीएसटी से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्र और राज्यों को सिफारिशें करने के लिए है। किस वास्तु पर कर लगाना चाहिये और किस पर नहीं इस बात की सिफारिश भी परिषद ही करता है। यह जीएसटी के विभिन्न दर स्लैब पर भी निर्णय लेता है।
उदाहरण के लिए, मंत्रियों के एक पैनल की अंतरिम रिपोर्ट में कैसीनो, ऑनलाइन गेमिंग और घुड़दौड़ पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने का सुझाव दिया गया है। इस पर बुधवार को परिषद की बैठक में फैसला लिया जाएगा।
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