हेलो दोस्तों, सिविल सर्विसेज हब पर आपका स्वागत है। दोस्तों आपने यह तो सुना ही होगा कि हमारे शरीर में कई ऐसे बैक्टीरिया रहते है जो हमारी आंत के सुचारु कार्य करने के लिये आवश्यक है। आपको बता दे कि हाल ही में शोधकर्ताओं ने एक नये वायरस के समूह की खोज की है जो इन बैक्टीरिया को नुकसान पहुँचती है। आज का हमारा लेख New Group of Viruses discovered शोध के ऊपर आधारित है। लेख में यह भी समझेंगे की यह वायरस किस तरह कार्य करता है तथा इससे बचने के क्या उपाय है। तो पूरी जानकारी के लिये लेख को अंत तक पढ़े।
New Group of Viruses discovered:-
मनुष्य जटिल कार्बोहाइड्रेट को पचा नहीं सकते इसलिए यह काम हमारी बड़ी आंत में उपस्थित बैक्टीरिया करते है। यूसी रिवरसाइड वैज्ञानिकों ने वायरस के एक नए समूह की खोज की है जो इन जीवाणुओं पर हमला करते हैं। सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक शोध पेपर में प्रकाशित हुआ है कि किस तरह यह वायरस बैक्टीरिया पर हमला करता है और कैसे खुद को बैक्टीरिया के हमले से बचाता है।
बैक्टीरियोइड्स मानव की बड़ी आंत में रहने वाले सभी जीवाणुओं का 60% तक होते है। मनुष्य के भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण घटक है। इनके बिना हमें रोटी, बीन्स, सब्जियां, या अन्य पसंदीदा खाद्य पदार्थों को पचाने में मुश्किल होती है। इनके महत्व के बारे में पता होने पर भी यह आश्चर्यजनक है कि वैज्ञानिक बैक्टेरॉइड्स का शिकार करने वाले वायरस के बारे में बहुत कम जानते हैं।
सूक्ष्म जीवविज्ञानी पैट्रिक डेगन ने कहा कि यह एक अनछुआ विषय है। बैक्टेरॉइड्स पर हमला करने वाले वायरस को खोजने के लिए, डेगन और उनकी टीम ने जीवाणु जीनोम के संग्रह का विश्लेषण किया। वैज्ञानिको ने ऐसे जीवाणु जीनोम का बिश्लेषण किया जहां वायरस कई पीढ़ियों तक छिप सकते हैं, जब तक कि कुछ उन्हें दोहराने, हमला करने और अपने मेजबान को छोड़ने के लिए उकसाया न जाये।
हलाकि वायरस को खत्म किया जा सकता है। वायरस में समय के साथ उत्परिवर्तन हो सकते हैं जो इसे अपने मेजबान से बचने से रोक सकते है। बैक्टेरॉइड्स वल्गेटस के जीनोम का विश्लेषण करने पर, डेगनन की टीम ने एक वायरस से संबंधित डीएनए पाया जिसे उन्होंने BV01 नाम दिया। हालांकि, यह निर्धारित करना मुश्किल था कि वायरस अपने मेजबान से बचने या फिर से संक्रमित करने में सक्षम है या नहीं।
शोधकर्ता डेगन ने कहा कि हमने हर एक संभव तरीके को अपना लिया था लेकिन हमें काफी समय तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ। लेकिन जब हमने रोगाणु मुक्त माउस मॉडल के साथ काम किया वायरस दिखाई दिया।
प्रयोग में प्राप्त परिणाम:-
शोधकर्ता डेगन ने कहा कि हमने हर एक संभव तरीके को अपना लिया था लेकिन हमें काफी समय तक कुछ भी हासिल नहीं हुआ। लेकिन जब हमने रोगाणु मुक्त माउस मॉडल के साथ काम किया वायरस दिखाई दिया।
अब तक किये गए शोध के परिणाम यह बताते कि
अब तक किये गए शोध के परिणाम यह बताते कि स्तनधारियों की आंत में वायरस आसानी से पनप सकता है। जिसका नाम BV01 वायरस है। इस शोध के परिणाम रोगाणुओं के जीव विज्ञान को समझने के लिए इन विट्रो और इन विवो दोनों प्रयोगों के महत्व को समझाता है। मनुष्यों पर इस जीवाणु वायरस के अप्रत्यक्ष प्रभाव के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने पर डेग्नन की टीम ने निर्धारित किया कि जब बीवी01 एक मेजबान सेल को संक्रमित करता है तो कोशिका का सामान्य व्यवहार बदल जाता है।
उपरोक्त प्रक्रिया में कम से कम 100 जीन में बदलाव होता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बदले हुए जीन में से दो परिवर्तित जीन पित्त एसिड को निष्क्रिय करने के लिए ज़िम्मेदार हैं। आंत में ऐसा होना सूक्ष्म जीवों के लिए खतरनाक होता है। यह प्रक्रिया संभवता बैक्टीरिया की पित्त एसिड के प्रति संवेदनशीलता को बदल देता है। यह बैक्टीरिया की अन्य वायरस से संक्रमित होने की क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है।
यह वायरस मानव आंत में इन जीवाणुओं के चयापचय को बदल सकता है जिसका असर हमारे चयापचय पर भी होता है। बीवी01 संक्रमण की पूरी सीमा अभी तक ज्ञात नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस जो आंत के बैक्टीरिया की उपस्थिति और गतिविधि को बदलते हैं मानव स्वास्थ्य और बीमारी में योगदान करते होंगे।
भविष्य में इस अध्ययन पर भी ध्यान देना होगा कि बीवी01 और इसके जैसे वायरस पर आहार का क्या प्रभाव होता है। क्योकि कुछ भोजन प्रदार्थ ज्यादा पित्त को निकलने के लिए ज़िम्मेदार होते है। शोधकर्ता डेगनन ने बताया कि बीवी01 अपने समूह का सिर्फ एक वायरस है। इस समूह का नाम सैलियर्सविरिडे (Salyersviridae), अबीगैल सैलियर्स के नाम पर रखा गया है। अबीगैल सैलियर्स ने आंतो में बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक प्रतिरोध के विज्ञान को आगे बढ़ाया था।
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Reference: “Infection with Bacteroides Phage BV01 Alters the Host Transcriptome and Bile Acid Metabolism in a Common Human Gut Microbe” by Danielle E. Campbell, Lindsey K. Ly and Jason M. R, 15 September 2020, Cell Reports.
DOI: 10.1016/j.celrep.2020.108142