भारत में गैर-संचारी रोग (Non-Communicable Diseases – NCDs) एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनकर उभरे हैं। ये रोग, जैसे मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर, और श्वसन संबंधी रोग, आज देश में मृत्यु और बीमारियों का प्रमुख कारण बन गए हैं। इन रोगों का प्रभाव न केवल स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि यह आर्थिक विकास, उत्पादकता, और सामाजिक कल्याण पर भी गहरा असर डालता है।
इस लेख में, हम गैर-संचारी रोगों के बढ़ते खतरे, इसके कारण, प्रभाव, और सरकार की नीतियों व उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। यह जानकारी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
गैर-संचारी रोग(Non-Communicable Diseases): परिभाषा और विशेषताएँ
गैर-संचारी रोग (NCDs) वे बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलती हैं। ये मुख्यतः दीर्घकालिक और धीमी गति से विकसित होने वाली बीमारियाँ होती हैं। इनके प्रमुख प्रकार हैं:
- हृदय रोग (Cardiovascular Diseases): उच्च रक्तचाप, हार्ट अटैक, और स्ट्रोक।
- मधुमेह (Diabetes): रक्त में शर्करा का स्तर असामान्य रूप से बढ़ना।
- कैंसर (Cancer): अनियंत्रित कोशिका वृद्धि।
- श्वसन रोग (Chronic Respiratory Diseases): अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)।
- मानसिक स्वास्थ्य विकार (Mental Health Disorders): तनाव, अवसाद और अन्य मानसिक समस्याएँ।
गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases) की प्रमुख विशेषताएँ:
- ये दीर्घकालिक और धीमी प्रगति वाले रोग होते हैं।
- ये रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के माध्यम से नहीं फैलते।
- जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों का इन रोगों पर बड़ा प्रभाव होता है।
भारत में गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases) की स्थिति
भारत, जहाँ एक समय मुख्य रूप से संक्रामक रोगों (Infectious Diseases) का बोलबाला था, अब NCDs का केंद्र बन चुका है। वर्तमान में, भारत में लगभग 61% मृत्यु का कारण गैर-संचारी रोग हैं। इसके अलावा, NCDs के कारण भारत पर वैश्विक स्वास्थ्य और आर्थिक दृष्टि से भी भारी दबाव है। निम्नलिखित आँकड़े भारत में NCDs की गंभीरता को स्पष्ट करते हैं:
- हृदय रोग: भारत में हर साल लगभग 28% मृत्यु हृदय रोगों के कारण होती है।
- मधुमेह: भारत को “डायबिटीज कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड” कहा जाता है, जहाँ लगभग 77 मिलियन लोग मधुमेह से प्रभावित हैं।
- कैंसर: हर साल लगभग 13 लाख नए कैंसर मामले दर्ज होते हैं, और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है।
- श्वसन रोग: वायु प्रदूषण के कारण श्वसन रोगों में तेजी से वृद्धि हो रही है। भारत के कई शहर विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाते हैं।
गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases) के प्रमुख कारण
1. जीवनशैली से जुड़े कारण
- अस्वस्थ आहार: वसायुक्त, नमक और चीनी युक्त भोजन का अधिक सेवन।
- शारीरिक गतिविधि की कमी: तकनीकी प्रगति के कारण लोग कम सक्रिय हो गए हैं।
- धूम्रपान और शराब का सेवन: ये आदतें कैंसर, हृदय रोग और श्वसन रोगों का प्रमुख कारण हैं।
2. पर्यावरणीय कारण
- वायु प्रदूषण: भारत में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक खराब हो चुकी है। WHO के अनुसार, दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण के कारण लाखों लोग श्वसन और हृदय रोगों से ग्रस्त हैं।
- जल प्रदूषण: दूषित पानी का सेवन कई प्रकार के रोगों को जन्म देता है।
3. आनुवंशिक और जैविक कारक
- आनुवंशिक प्रवृत्ति: मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसे रोग आनुवंशिक हो सकते हैं।
- उम्र और लिंग: बढ़ती उम्र के साथ NCDs का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, पुरुष और महिलाएँ विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं।
4. सामाजिक और आर्थिक कारक
- गरीबी और असमानता: गरीब तबके को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में कठिनाई होती है।
- शहरीकरण: अत्यधिक शहरीकरण के कारण जीवनशैली में नकारात्मक बदलाव आए हैं।
गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases) का प्रभाव
1. स्वास्थ्य पर प्रभाव
- मृत्यु दर में वृद्धि: भारत में लगभग 6 करोड़ लोग हर साल NCDs के कारण अपनी जान गंवाते हैं।
- जीवन की गुणवत्ता में गिरावट: इन रोगों के कारण लोग लंबे समय तक बीमार रहते हैं, जिससे उनकी दैनिक गतिविधियों पर असर पड़ता है।
2. आर्थिक प्रभाव
- व्यक्तिगत स्तर: चिकित्सा खर्च में वृद्धि। गरीब और मध्यम वर्ग के लिए यह वित्तीय संकट का कारण बनता है।
- राष्ट्रीय स्तर: उत्पादकता में गिरावट और स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ता बोझ। अनुमान है कि NCDs के कारण भारत को हर साल अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है।
3. सामाजिक प्रभाव
- परिवारों पर भावनात्मक और आर्थिक बोझ।
- स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता का बढ़ना।
भारत सरकार के प्रयास
1. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
- प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना।
- स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता बढ़ाना।
2. राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग कार्यक्रम (NPCDCS)
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर स्क्रीनिंग और उपचार सेवाएँ उपलब्ध कराना।
- मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर पर विशेष ध्यान देना।
3. आयुष्मान भारत योजना
- गरीब और वंचित वर्गों को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करना।
- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (Health and Wellness Centers) की स्थापना।
4. स्वच्छ भारत अभियान
- वायु और जल प्रदूषण को नियंत्रित करना।
- स्वच्छता और स्वच्छ जल की उपलब्धता बढ़ाना।
5. राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम
- धूम्रपान और तंबाकू सेवन पर नियंत्रण।
- जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को शिक्षित करना।
समस्याएँ और चुनौतियाँ
1. स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है, जिससे NCDs की रोकथाम और उपचार मुश्किल हो जाता है।
2. स्वास्थ्य जागरूकता की कमी
गैर-संचारी रोगों के जोखिम और रोकथाम के तरीकों के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी है।
3. प्रदूषण और पर्यावरणीय समस्याएँ
वायु और जल प्रदूषण NCDs के प्रमुख कारण हैं, लेकिन इन्हें नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए जा रहे।
4. सरकारी योजनाओं का सीमित क्रियान्वयन
कई योजनाएँ कागज़ों तक सीमित रह जाती हैं, और उनका लाभ जरूरतमंदों तक नहीं पहुँचता।
समाधान और सुझाव
1. स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता
- स्कूल और कॉलेज स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।
- जन अभियान चलाकर लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित किया जाए।
2. स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
- ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।
- टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा।
3. पर्यावरण सुधार
- वायु और जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून।
- हरित ऊर्जा स्रोतों का उपयोग।
4. निजी क्षेत्र की भागीदारी
- निजी अस्पतालों और कंपनियों को स्वास्थ्य सेवाओं में योगदान के लिए प्रोत्साहित करना।
- पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को बढ़ावा देना।
5. नवाचार और अनुसंधान
- गैर-संचारी रोगों पर अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- सस्ती और प्रभावी दवाओं का विकास।
6. पोषण सुधार
- संतुलित आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैट और नमक की मात्रा कम करना।
निष्कर्ष
भारत में गैर-संचारी रोग एक बढ़ती हुई चुनौती हैं, जिनसे निपटने के लिए समग्र और प्रभावी रणनीतियों की आवश्यकता है। स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना, लोगों में जागरूकता बढ़ाना, और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान इस समस्या को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। सरकार, समाज, और व्यक्तियों को मिलकर इन प्रयासों को सफल बनाना होगा।
यूपीएससी परीक्षा के लिए, गैर-संचारी रोगों का यह मुद्दा स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, और आर्थिक विकास जैसे विभिन्न विषयों से संबंधित है। परीक्षार्थियों को इस विषय पर गहन अध्ययन करना चाहिए और इसे निबंध, सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषयों में शामिल करना चाहिए।
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