हेलो दोस्तों, सिविल सर्विसेज हब पर आपका स्वागत है। दोस्तों हाल ही में मिलेनियम टेक्नोलॉजी पुरुस्कार 2020 की घोषणा की गयी है। यह पुरुस्कार शंकर बालासुब्रमण्यम और डेविड क्लेनरमैन को “क्रांतिकारी डीएनए अनुक्रमण तकनीकों के विकास के लिए” दिया गया है। आज के हमारे Millennium Technology Prize लेख में हम इसी पुरुस्कार के बारे में जानेंगे और बताएंगे कि यह पुरुस्कार क्यों दिया जाता है और इसकी क्या उपयोगिता है। तो सम्पूर्ण जानकारी के लिए लेख को पूरा पढ़े।
Millennium Technology Prize:-
शंकर बालासुब्रमण्यम और डेविड क्लेनरमैन के द्वारा किया गया यह कार्य विज्ञान और नवाचार का एकदम सही मिश्रण है क्योकि महामारी के इस दौर में हमने जीनोम अनुक्रमण के बारे में बहुत कुछ सुना है।
मिलेनियम टेक्नोलॉजी पुरुस्कार में नवाचार पर जोर:-
यह अवार्ड फ़िनलैंड गणराज्य तथा फ़िनिश शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के द्वारा दिया जाता है। मिलेनियम टेक्नोलॉजी पुरुस्कार में 21वी सदी की सोच को बढ़ावा दिया है जिसमे नवाचार पर जोर दिया गया है। पिछले विजेताओं में टिम बर्नर्स-ली (विश्व-व्यापी वेब को लागू करने के लिए) और फ्रांसिस अर्नोल्ड (एक प्रयोगशाला सेटिंग में निर्देशित विकास पर उनके काम के लिए) शामिल हैं। अब तक के 11 पुरुस्कार विजेताओं में से 3 ने इसके बाद नोबेल पुरुस्कार प्राप्त किये।
शंकर बालासुब्रमण्यम का जन्म चेन्नई में हुआ था और उन्होंने अपना अधिकांश जीवन इंग्लैंड में बिताया। अपनी पीएचडी के बाद, उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में प्रवेश लिया। उन्होंने डेविड क्लेनरमैन के साथ मिलकर उसी समय के आसपास अपनी टीम बनाई।
इस खोज का प्रारंभिक उद्देश्य एक माइक्रोस्कोप का निर्माण करना था जो एकल अणुओं का अनुसरण कर सके। उनकी विशेष रुचि वह आणविक मशीनरी थी जिसका उपयोग डीएनए स्वयं की प्रतियां बनाने के लिए करता है। उन्होंने पता लगाया कि डीएनए बनाने वाली वर्णमाला को पढ़ने का एक नया तरीका है इसी के द्वारा इसमें संग्रहित जानकारी प्राप्त होती है।
डीएनए (या आरएनए, कुछ वायरस में), जीवन रूपों की आनुवंशिक सामग्री, चार आधारों (ए, टी, जी और सी; आरएनए के मामले में टी की जगह यू के साथ) से बना है। गुणसूत्र इनमें से एक लंबी रैखिक श्रृंखला का द्वैध है जिसमे जीवन का खाका होता है। जिस प्रकार जीवन खुद को दोहराता है उसी प्रकार डीएनए प्रतिकृति करता है। जब एक एंजाइम, डीएनए पोलीमरेज़, एक मौजूदा डीएनए स्ट्रैंड का उपयोग टेम्पलेट के रूप में करके एक पूरक स्ट्रैंड को संश्लेषित करता है।
निर्णायक विचार:-
बालसुब्रमण्यम और क्लेनरमैन की सफलता का विचार स्ट्रैंड संश्लेषण की इस प्रक्रिया का उपयोग करके डीएनए (या आरएनए) को अनुक्रमित करना था। उन्होंने चतुराई से अपने एटीजीसी आधारों को संशोधित किया तथा प्रत्येक को एक अलग रंग दिया। इन आधारों के साथ जब डीएनए की प्रतिकृति बनती है तो उन्हें रंगो के आधार पर लघु ऑप्टिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करके देखा जाता है।
उनकी “नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग” (एनजीएस) पद्धति में एक बहुत महत्वपूर्ण प्रगति डीएनए के आकार में निहित है जिसे एक बार में अनुक्रमित किया जा सकता है। इस पद्धति के द्वारा एक मिलियन से अधिक बेस जोड़े को अनुक्रमित किया जा सकता है। इस तकनीक के द्वारा एक जीव के सैकड़ों जीन या पूरे जीनोम का भी अनुवाद किया जा सकता है।
इस तकनीक के द्वारा एक ही समय में डीएनए के सैकड़ों टुकड़ों को एक साथ अनुक्रमित करना संभव हो पाया है। एक लंबे डीएनए को कई छोटे टुकड़ो में तोड़ दिया जाता है। प्रत्येक टुकड़े 100 से अधिक आधार नहीं होते है। इन टुकड़ो को अनुक्रमित किया जाता है और अंतिम परिणाम को एक साथ जोड़ दिया जाता है।
तकनीक की गिरती लागत:-
जब मानव जीनोम परियोजना ने हमारे जीनोम का पहला, लगभग पूर्ण अनुक्रम दिया, तो लागत का अनुमान 3 बिलियन डॉलर था। वर्ष 2020 तक, अगली पीढ़ी की अनुक्रमण तकनीकों ने जीनोम को अनुक्रमित करने की कीमत को एक हज़ार डॉलर तक नीचे धकेल दिया। जब यह तकनीक भारत में प्रचलित हो जाएगी तो यह राशि कुछ हज़ार रुपये हो जानी चाहिए।
चुकि एक कोरोनावायरस जीनोम में 3 बिलियन नहीं बल्कि 30,000 आरएनए बेस होते हैं। इसी के परिणामस्वरूप नोवेल कोरोनावायरस और इसके वेरिएंट के जीनोम पर डेटा का विस्फोट हुआ है। यूनाइटेड किंगडम में स्वास्थ्य अधिकारियों ने उन सोलह लोगों में से एक के वायरल जीनोम को अनुक्रमित किया है जो कोविड पॉजिटिव प्राप्त हुआ था। लोकप्रिय जीनोमिक डेटा शेयरिंग साइट GSAID में 172 देशों से Cov-2 जीनोमिक अनुक्रमों के दो मिलियन से अधिक सबमिशन हैं। एनजीएस दुनिया भर में वायरल वेरिएंट के प्रसार की निगरानी और प्रकोप के स्रोत का पता लगाने के केंद्र में रहा है।
Reference:- The Hindu
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