Biofuel Meaning in Hindi

हेलो दोस्तों, सिविल सर्विसेज हब के विज्ञान और तकनीक सेक्शन में आपका स्वागत है। आपने जैव ईधन के बारे में तो सुना ही होगा। प्राकर्तिक ईधन के अत्यधिक दोहन और इसकी सीमित उपलब्धता को देखते हुए यह ईधन के विकल्प को विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। आज हम जानेंगे की जैव ईंधन आखिर है क्या और इसे कैसे बनाया जा सकता है। तो सम्पूर्ण जानकारी के लिये Biofuel Meaning in Hindi पोस्ट को पूरा पढ़े। 

Biofuel Meaning in Hindi:-

Biofuel Meaning in Hindi

हम सौर, पवन और अन्य विकल्पों के द्धारा हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम कर सकते है। यह अन्य वैकल्पिक स्त्रोत पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचाते है तथा आर्थिक लाभ दिलाने की क्षमता भी रखते है। लेकिन इनमें से कई स्रोतों की क्षमता सीमित है। यह हमारी परिवहन आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण तरल ईंधन जैसे जेट ईंधन, गैसोलीन, और डीजल ईंधन को प्रतिस्थापित नहीं कर सकते हैं। 

इस समस्या का एक संभावित समाधान जैव ईंधन है। जैव ईंधन नवीकरणीय जैविक स्रोतों से उत्पन्न तरल ईंधन हैं। इन जैविक स्त्रोतों में पौधे और शैवाल शामिल है। 

जैव ईंधन क्या है (What is Biofuel):-

आजकल बायोएनेर्जी शोधकर्ता उन्नत जैव ईंधन और बायोप्रोडक्ट विकसित करने का प्रयास कर रहे है। जैव ईंधन के शोध को आगे बढ़ाने के लिये कई संस्थान और कई वैज्ञानिक कार्य कर रहे है। इन शोधकर्ताओ को चाहिये कि वे जैव ईंधन के कच्चे माल (जिसे फीडस्टॉक्स कहा जाता है) के ऐसे स्रोतों को विकसित करे टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल हो। 

उदाहरण के लिए, स्विचग्रास और चिनार तेजी से बढ़ने वाली, गैर-खाद्य प्रजातियां हैं जो आदर्श फीडस्टॉक्स हो सकती हैं। वैज्ञानिक इन पौधों के जीनो में बदलाव करके इन्हे जैव-ईंधन और अन्य जैवप्रौद्योगिकी कार्यो के लिये तैयार कर सकते है। 

वैज्ञानिको के ऐसे एंजाइम और माइक्रोब को तैयार करना चाहिये जो पादप सामग्रियों को ईंधन के रूप में कार्य करने वाले रसायनो में तोड़ सके। जिसके बाद इन रसायनो का उपयोग जैव-ईंधन के रूप में हो सके। 

जैव ईंधन कितने प्रकार का होता है (Types of Biofuel):-

जैव ईंधन मुख्यतया दो प्रकार का होता है –

गैसीय जैव ईंधन

तरल जैव ईंधन

गैसीय जैव ईंधन –

गैसीय जैव ईंधन – यह ईंधन दो प्रकार का होता है –

बायोगैस और बायोमेथेन –

बायोगैस एक प्रकार की मीथेन है जिसे अवायवीय जीवो के द्धारा कार्बनिक पदार्थों के अवायवीय पाचन से उत्पन्न किया जाता है। इसका उत्पादन या तो बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट पदार्थों से किया जा सकता है या फिर ऊर्जा फसलों पर अवायवीय जीव के उपयोग से किया जाता है। 

ठोस सहउत्पाद का उपयोग जैव ईंधन या उर्वरक के रूप में किया जा सकता है। जब कार्बन-डाई-ऑक्साइड और अन्य अशुद्धियों को बायोगैस से हटा दिया जाता है, तो इसे बॉयोमीथेन कहा जाता है। बायोगैस को यांत्रिक जैविक उपचार अपशिष्ट प्रसंस्करण प्रणालियों से पुनर्प्राप्त किया जा सकता है।

लैंडफिल गैस, बायोगैस का कम स्वच्छ रूप है। इसकी उत्पत्ति लैंडफिल में एनारोबिक पाचन के माध्यम से होती है। यह गैस यहाँ से वायुमण्डल में मिल जाती है और ग्रीनहाउस गैस के रूप में कार्य करती है। किसान भी एनारोबिक डाइजेस्टर का उपयोग करके अपने मवेशियों की खाद से बायोगैस का उत्पादन कर सकते हैं।

सिनगैस (Syngas) –

सिनगैस, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन और अन्य हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है। इसे बायोमास के आंशिक दहन के द्धारा प्राप्त किया जाता है। आंशिक दहन का अर्थ है कि बायोमास को ऑक्सीजन की अपर्याप्त मात्रा के साथ जलाया जाता है जिससे बायोमास पूर्णतया कार्बन डाइऑक्साइड और पानी में नहीं बदल पाता है। 

आंशिक दोहन से पहले बायोमास को सुखाया जाता है। परिणामस्वरूप सिनगैस प्राप्त होती है और जैव ईंधन के प्रत्यक्ष दहन की तुलना में अधिक कुशल होती है। सिनगैस को सीधे आंतरिक दहन इंजन, टर्बाइन या उच्च तापमान वाले ईंधन कोशिकाओं में जलाया जा सकता है। लकड़ी गैस जनरेटर और लकड़ी-ईंधन गैसीकरण रिएक्टर को एक आंतरिक दहन इंजन के द्धारा जोड़ा जा सकता है। 

सिनगैस को प्रोसेस करके डीज़ल के विकल्प के रूप में काम में लिया जा सकता है। 

तरल जैव ईंधन –

इथेनॉल –

इसका उत्पादन शर्करा, स्टार्च या सेलूलोज़ के किण्वन के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। यह किण्वन सूक्ष्मजीवों और एंजाइमों की मदद से किया जाता है। बायोबुटानोल (जिसे बायोगैसोलिन भी कहा जाता है) को गैसोलीन का सीधा प्रतिस्थापक कहा जाता है। इसलिए इसका उपयोग सीधे गैसोलीन इंजन में किया जा सकता है। 

इथेनॉल ईंधन के रूप में सामान्यतया पाया जाता है। यह मुख्यतया ब्राज़ील में इस्तेमाल किया जाता है। गेहूँ, गन्ने आदि की शर्करा के किण्वन के द्धारा भी एलकोहॉल ईंधन प्राप्त किया जा सकता है। पेट्रोल के प्रतिस्थापन के रूप में इथेनॉल का उपयोग पेट्रोल इंजन में किया जा सकता है। इसे किसी भी प्रतिशत में गैसोलीन के साथ मिलाया जा सकता है। 

अधिकांश मौजूदा कार पेट्रोल इंजन पेट्रोलियम / गैसोलीन के साथ 15% बायोएथेनॉल का मिश्रण करने पर चल सकते है। 

बायोडीजल –

बायोडीजल यूरोप में सबसे आम जैव ईंधन है। इस उत्पादन तेल और वसा के ट्रांसस्टेरिफिकेशन के द्धारा किया जाता है। यह बायोडीजल रासायनिक रूप से जीवाश्म ईंधन के समान ही होता है। बायोडीजल के लिए फीडस्टॉक्स में पशु वसा, वनस्पति तेल, सोया, रेपसीड, जटरोफा, महुआ, सरसों, सन, सनफ्लॉवर, पाम ऑयल, भांग, फील्ड पेनीसाइरस, पोंगामिया पिन्नाटा और शैवाल आदि का उपयोग किया जाता है। 

शुद्ध बायोडीजल (B100, जिसे “नीट” बायोडीजल के रूप में भी जाना जाता है) वर्तमान डीजल से 60% काम उत्सर्जन करता है। खनिज डीजल के साथ मिश्रित होने पर किसी भी डीजल इंजन में बायोडीजल का उपयोग किया जा सकता है। डीजल इंजनों में इसके शुद्ध रूप (B100) का भी उपयोग किया जा सकता है। लेकिन यह बायोडीजल कम तापमान पर कुछ अधिक चिपचिपा हो जाता है इसलिये सर्दियों में इसके उपयोग में कुछ समस्याएँ आ सकती है। 

हरे रंग का डीजल –

इसका उत्पादन वनस्पति तेल और पशु वसा के हाइड्रोक्रैकिंग के द्धारा किया जाता है। हाइड्रोक्रैकिंग एक रिफाइनरी विधि है जिसमे एक उत्प्रेरक के माध्यम से ऊंचा तापमान और दबाव पर वसा के बड़े अणुओ को छोटे अणुओ में विघटित किया जाता है। इन्ही छोटी हाइड्रोकार्बन चेन्स का उपयोग  डीजल इंजनों में किया जाता है। 

बायोडीजल के विपरीत, हरे रंग के डीजल में पेट्रोलियम आधारित डीजल के समान ही रासायनिक गुण होते हैं। अच्छी बात यह है की इसके उपयोग लिये नए इंजनों, पाइपलाइनों या बुनियादी ढांचे की आवश्यकता नहीं है। इसे पेट्रोलियम के समान लागत में उत्पादित किया जा सकता है। इस ईंधन का गैसोलीन संस्करण भी विकसित किया जा रहा है। 

सामान्य वनस्पति तेल –    

अनमॉडिफ़ाइड खाद्य वनस्पति तेल का उपयोग आमतौर पर ईंधन के रूप में नहीं किया जाता है। कम गुणवत्ता वाले तेल का उपयोग इसके लिये किया जा सकता है। इस ईंधन के लिए प्रयुक्त तेल में पानी और कणों को साफ किया जाता है और फिर ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है। उपयोग किये हुए वनस्पति तेल का उपयोग बायोडीजल में तेजी से किया जा रहा है। 

100% बायोडीजल (B100) के साथ उपयोग करते समय यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि ईंधन इंजेक्टर सही पैटर्न में वनस्पति तेल का दहन करे। डीजल के तेल की चिपचिपाहट को कम करने के लिए वनस्पति तेल के ईंधन को बिजली के कॉइल या किसी अन्य माध्यम से गर्म करना चाहिये। 

बायोइथर्स –

इसका उपयोग ओकटाइन रेटिंग बढ़ाने के लिए किया जाता है। बायोइथर्स आइसो-ब्यूटिलीन और आइसो-ओलेफिन जैसे प्रतिक्रियाशील रसायनो की प्रतिक्रिया से उत्पन्न होते है। बायोइथर्स गेहूं या चीनी बीट से भी बनाये जा सकते है। 

बायोइथर्स इंजन की क्षमता को बढ़ाते है। ये इंजन के विषाक्त निकास उत्सर्जन को भी काफी कम करते है। ऊर्जा घनत्व कम होने के कारण इनका उपयोग ईंधन के रूप में शायद ही हो सके। ये बायोइथर्स जमीनी ओजोन उत्सर्जन की मात्रा को बहुत कम करके हवा की गुणवत्ता में भी बढ़ावा करते है। 

जैव ईंधन और पर्यावरण पर प्रभाव – 

यदि जैव-ईंधन कार्बन न्युट्रल हो और जैव ईंधन प्रोजेक्ट के समान ही co2 का अवशोषण करे तो इसे काम में लिया जा सकता है। जैव ईंधन के प्रयोग से ग्रीन हाउस गैसो के उत्सर्जन में भी कमी होगी। इस प्रकार जैव ईंधन कार्बन कैप्चर करके कार्बन डाइऑक्साइड को स्थायी रूप से हटाने में सक्षम हो सकते है। 

कैप्चर किए गए कार्बन डाइऑक्साइड को लंबे समय तक रिपॉजिटरी में जमीन के नीचे भूगर्भिक संरचनाओं जैसे (गहरे) समुद्र के तलछट में, या कार्बन जैसे ठोस पदार्थों के रूप में अनुक्रमित किया जा सकता है।

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