सिविल सर्विसेज हब पर आपका स्वागत है। दोस्तों बायोलॉजी के इस सेक्शन में हम आज फिर हाज़िर आपको शोध के क्षेत्र में रोचक जानकारी देने के लिए। आज हम अपने Biological Symbiosis – Making Life Easy लेख में सहजीविता के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे। तो पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को पूरा पढ़े।
Biological Symbiosis – Making Life Easy:-
ऊर्जा प्रदान करने वाले बैक्टीरियल एंडोसिम्बियन्ट अपने एककोशिकीय यूकेरियोटिक होस्ट को नाइट्रेट ग्रहण करने में सक्षम बनाते है। यह इस बात की तरफ इशारा करते है कि एककोशिकीय यूकेरियोट्स अपने माइटोकॉन्ड्रिया के द्धारा किये जाने वाले कार्यो को इन एंडोसिमबियोनट्स के द्धारा भी कर सकते है।
शोधकर्ताओं ने एक ऐसे ही जीवाणु की खोज की है एककोशिकीय यूकेरियोट के अंदर रहता है और उसे ऊर्जा प्रदान करता है। माइटोकॉन्ड्रिया के विपरीत, यह एंडोसिम्बियन्ट ऑक्सीजन का उपयोग न करके नाइट्रेट के श्वसन से ऊर्जा प्राप्त करता है। यह पहला ऐसा सहजीवन है जो श्वसन और ऊर्जा के हस्तांतरण पर आधारित है।
यूकेरियोट्स के बीच सहजीवन सामान्य है। यूकेरियोटिक मेजबान अक्सर अन्य जीवों जैसे बैक्टीरिया के साथ सह-अस्तित्व में रहते है। कुछ बैक्टीरिया मेजबान कोशिकाओं या ऊतक के अंदर रहते हैं और रक्षा या पोषण जैसे महत्वपूर्ण कार्यो को करते है।
इसके बदले में, मेजबान सहजीवन के लिए आश्रय और उपयुक्त रहने की स्थिति प्रदान करता है। एक आतंरिक सहजीवन इस स्थिति तक हो सकता है कि जीवाणु अपने मेजबान के बाहर अपने दम पर जीवित रहने की क्षमता खो देता है।
अध्ययन के पहले लेखक जॉन ग्राफ ने कहा कि हमारी खोज से यह संभावना खुलती है कि साधारण एककोशिकीय यूकेरियोट्स, जैसे कि प्रोटिस्ट अपने माइटोकांड्रिया के कर्यो को ऊर्जा-प्रदान करने वाले एंडोसिमबियोनट्स के साथ प्रतिस्थापित कर सकता है।
यह प्रोटिस्ट नाइट्रेट श्वसन में सक्षम एंडोसिम्बियन्ट के साथ मिलकर ऑक्सीजन के बिना जीवित रहने में सफल रहा है। इस एंडोसिम्बियन्ट का नाम कैंडेटस एज़ोइमिकस सिलियाटिकोला (Candidatus Azoamicus Ciliaticola) है जो एक नाइट्रोजन मित्र की तरह कार्य करता है।
एक अंतरंग साझेदारी का प्रभाव:-
अब तक, यह माना गया है कि ऑक्सीजन मुक्त वातावरण में यूकेरियोट्स किण्वन के माध्यम से जीवित रहते हैं, क्योंकि ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। किण्वन प्रक्रिया अच्छी तरह से प्रलेखित है और कई अवायवीय सिलियेट्स में देखी गई है।
हालांकि, सूक्ष्मजीव किण्वन से उतनी ऊर्जा का उत्पादन नहीं कर पाते। वे आमतौर पर विकसित भी नहीं होते हैं और अपने एरोबिक समकक्षों के समान जल्दी से विभाजित हो जाते है। शोधकर्ताओं ने नाइट्रेट को सांस के रूप में उपयोग करने वाले एक जीवाणु को एक कौशिका में डाल दिया। होस्ट कौशिका ने भी इस सहजीवन को अपना लिया। शोधकर्ताओं के अनुसार यह सहजीवन कई वर्षो पहले आत्मसात किया गया है और अब बहुत गहरा हो गया है।
चरणबद्ध विकास:-
माइटोकांड्रिया की तरह इन सिम्बियन्ट का विकास भी चरणबद्ध तरीके से हुआ है। यह माना जाता है कि एक अरब साल पहले एक पुश्तैनी पुरातत्वविद् ने एक जीवाणु के साथ सहजीवन शुरू किया था। इस घटना ने यूकेरियोटिक कोशिका की उत्पत्ति को चिह्नित किया। समय के साथ जीवाणु कोशिका में अधिक से अधिक एकीकृत हो गया। तब से जीवाणु अपने जीनोम को भी कम कर रहा है।
जिन विशेषताओं की आवश्यकता नहीं थी वह स्वतः लुप्त हो गई। केवल वे विशेषताएँ बची है जो मेजबान को लाभ पहुँचती है। इस प्रकार से माइटोकांड्रिया का भी विकास हुआ। उनके पास अपने छोटे जीनोम के साथ-साथ एक कोशिका झिल्ली है, और यूकेरियोट्स में तथाकथित ऑर्गेनेल के रूप में मौजूद हैं। मानव शरीर में, वे लगभग हर कोशिका में मौजूद है और कौशिका को ऊर्जा प्रदान कर रहे है।
हमारे एंडोसिम्बियोनेट कई माइटोकॉन्ड्रियल कार्यों को करने में सक्षम है, भले ही यह माइटोकॉन्ड्रिया के साथ एक आम विकासवादी मूल साझा नहीं करता है। इस बात को भी नाकारा नहीं जा सकता की माइटोकांड्रिया की तरह यह सहजीवी कौशिका का एक एक ऑर्गेनेल हो सकता है।
सहजीवन के फायदे:-
यह एक आश्चर्य की बात है कि यह सहजीवन इतने दिनों तक अनछुआ रहा। माइटोकॉन्ड्रिया ऑक्सीजन के साथ जितनी अच्छी तरह से काम करते हैं उतनी ही अच्छी तरीके से नाइट्रेट के साथ भी करना चाहिये।
एंडोसाइम्बीओसिस का अध्ययन करना चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अधिकांश सहजीवी सूक्ष्मजीव प्रयोगशाला में नहीं बनाये जा सकते। हाल जी मेटागोनोमिक अध्ययन से हमें मेजबान और सहजीवी के बारे में गहन जानकारी प्राप्त हुई है।
मेटाजेनोम का अध्ययन करते समय वैज्ञानिक सभी जीनों का अध्ययन करते है। यह दृष्टिकोण अक्सर पर्यावरण नमूनों के लिए उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिक आमतौर पर विशिष्ट जीन अनुक्रमों की तलाश करते हैं जो उनके शोध प्रश्न के लिए प्रासंगिक होता हैं। Metagenomes में अक्सर लाखों विभिन्न जीन अनुक्रम होते हैं। यह बिल्कुल सामान्य है कि उनमें से केवल एक छोटे से अंश का विस्तार से विश्लेषण किया जाता है।
Lake Zug अनुसंधान के नतीजे:-
मैक्स-प्लैंक-इंस्टीट्यूट के ग्रीन हाउस रिसर्च ग्रुप ने मीथेन गैस के चयापचय में शामिल सूक्ष्मजीवों की जांच की।इसके लिए वे झील की गहरी पानी की परतों का अध्ययन कर रहे हैं। इस झील में पानी का कोई ऊर्ध्वाधर विनिमय नहीं है। झील की गहरी पानी की परतों का इस प्रकार सतह के पानी से कोई संपर्क नहीं है और ये काफी हद तक अलग-थलग हैं।
यही कारण है कि उनमे कोई ऑक्सीजन नहीं है परन्तु मीथेन और नाइट्रोजन यौगिकों जरूर है। नाइट्रोजन रूपांतरण करने वाले जीनो का अध्ययन करते हुए उन्होंने एक आश्चर्यजनक छोटे जीन अनुक्रम को उपस्थित पाया। इस जीन अनुक्रम ने ही नाइट्रेट श्वसन के लिए पूर्ण चयापचय मार्ग को एन्कोड किया था।
जब शोधकर्ताओं ने इन डीएनए की तुलना डेटाबेस के डीएनए से की तो और भी चौकाने वाले परिणाम सामने आये। परिणाम में इस सहजीवी का डीएनए एफिड्स और अन्य कीड़ों के समान पाया गया। शोधकर्ताओं को यह समझ में नहीं आया कि इतने गहरे पानी में कीड़े कैसे हो सकते है।
कई कोशिशों के बाद वैज्ञानिको eukaryotes के सैंपल लिए और उन पर जीन मार्कर का प्रयोग किया। इस प्रयोग के बाद वे एंडोसिम्बियन्ट और उसके मेजबान प्रोटिस्ट् को पहचान सके।
Biological Symbiosis – Making Life Easy लेख में प्रयुक्त महत्वपूर्ण शब्दों का अर्थ:-
सहजीवन (Symbiosis):-
एक सहजीवन विभिन्न प्रजातियों के जीवों के बीच एक विकसित जीवित संबंध है। आमतौर पर इसमें शामिल एक या दोनों व्यक्तियों को लाभ होता है। कभी-कभी सहजीवन इतना गहरा हो जाता है कि जीव एक दूसरे के बिना जीवित नहीं रह पाता। दोनों जीवो के जीवन को चलने में सहजीवी साझेदारी में संलग्न होती हैं।
अव्यवस्थित सहजीवन अक्सर लम्बी समयावधि में विकसित होते है। संकायीय सहजीवन अधिक आधुनिक, व्यवहारिक रूपांतर के द्धारा विकसित हो जाता है।
एंडोसिम्बायोसिस:-
इस परिस्थिति में एक सहजीवी दूसरे जीव के शरीर में रहता है। एंडोसिम्बायोसिस कौशिका के अंदर और कौशिका के बाहर दोनों प्रकार से हो सकता है। दूसरी और एक्टोसिम्बियोसिस में सहजीवी मेजबान के शरीर की सतह पर रहता है। जैसे – पाचन तंत्र की परत पर, एक्सोक्राइन ग्रंथियों के स्त्राव पर।
सहजीवन के प्रकार (Types of Symbiosis):-
पारस्परिक आश्रय (Mutualism) –
इस प्रकार के सहजीवन में दोनों जीवो को फायदा होता है। जिसके फलस्वरूप दोनों जीव एक दूसरे पर निर्भर रहकर जीवन यापन करते है। म्युचुअलिज्म संसाधन-संसाधन संबंध, सेवा-संसाधन संबंध या सेवा-सेवा संबंध में से किसी का भी रूप ले सकती है।
संसाधन-संसाधन तरह का म्युचुअलिज्म दोनों जीवो के बीच संसाधन के आदान-प्रदान से होती है। संसाधन-संसाधन पारस्परिकताएं अक्सर एक ऑटोट्रॉफ़ (autotroph) और एक हेटेरोट्रोफ़ (heterotroph) के बीच में होती है। बहुत से पौधो में यह सहजीवन पाया जाता है जिसे माइकोरिज़ल एसोसिएशन कहा जाता है। यह सहजीवन पौधों की जड़ों और एक कवक के बीच में होता है। कवक पौधों की जड़ों में रहता है और कार्बोहाइड्रेट, सुक्रोज और ग्लूकोज प्राप्त करता है। इसके बदले में सहजीवी पौधे को उच्च पानी और खनिज अवशोषण में मदद करता है।
सेवा-संसाधन मटुअलिस्म में जब सहजीवी अपने भागीदार को किसी संसाधन के बदले सेवा देता है। इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण पौधों और उनके परागणकों के बीच आदान-प्रदान है। परागरस की तलाश में जब कीट, पक्षी, पतंगे, चमगादड़, आदि पौधे पर आते है तो पौधे को परागण में मदद करते है। इसके बदले संसाधन के रूप में पौधे के परागरस पाते है।
पारस्परिक सहजीवन का एक दुर्लभ रूप सेवा-सेवा के रूप में भी दिखाई देता है। जैसे एनीमोन मछली (परिवार: पोमेसेंट्रिडे) और समुद्री एनीमोन के बीच घनिष्ठ संबंध शिकारियों से सुरक्षा के लिए होता है। एनीमोन मछली, समुद्री एनीमोन के शरीर पर म्यूकस की एक परत बना देती है जिससे उसके Nematocytes छुप जाते है और शिकारियों को दिखाई नहीं देते। इन जालियो को बचाना इसलिए जरूरी होता है क्योकि यह पोषक तत्वों से भरपूर होती है।
Commensalism –
इस प्रकार के सहजीवन में एक जीव पूर्णतया दूसरे जीव पर निर्भर रहता है जबकि दूसरे जीव को कोई फायदा नहीं होता है। व्हेल और बार्नाकल के बीच संबंध कमेंसलिज्म का एक उदाहरण है। बार्नकल्स खुद को व्हेल की सख्त त्वचा से जोड़ते हैं और तेज बहाव से खुद को सुरक्षित रख पाते है।
इस प्रकार बार्नकल्स व्हेल से भोजन प्राप्त करते है बदले में व्हेल को कुछ भी नहीं मिलता।
Amensalism –
यह कमेंसालिस्म के बिलकुल विपरीत होता है। इसमें एक जीव दूसरे की उपस्थिति से बाधित या क्षतिग्रस्त होता है लेकिन उसको लाभ नहीं होता है। Amensalism में प्रतियोगिता शामिल हो सकती है, जिसमें एक बड़ा, अधिक शक्तिशाली, या पर्यावरणीय रूप से बेहतर रूप से अनुकूलित जीव अपने भोजन स्रोत या आश्रय से किसी अन्य जीव को उस स्थान पर रहने नहीं देता।
जैसे – एक पौधा अपने नीचे उगे पौधे को बढ़ने नहीं देता लेकिन वह पौधा स्वयं सामान्य गति से बढ़ता है।
परजीविता (Parasitism) –
यह सहजीविता का गैर-पारस्परिक रूप है। यह तब होता है जब किसी एक जीव को दूसरे की कीमत पर लाभ होता है। हलाकि परजीविता से जीव की मृत्यु नहीं होती है। बल्कि यह परजीवी के जीवन चक्र के लिए अनिवार्य है कि वह अपने मेजबान को जीवित रखे।
लेकिन कभी कभी परजीविता के कारण मेजबान की मृत्यु हो जाती है। इसे पैरासाइटॉयड कहा जाता है। परजीवी या तो मेजबान के ऊतकों को खाकर या उसके भोजन के द्धारा जीवित रहता है।
ब्रूड परजीवीवाद क्लेप्टोपरिसिटिज्म का एक रूप है। इस परिस्थिति में मेजबान पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह पक्षियों (विशेष रूप से कोयल), कीड़े और कुछ मछलियों में आम है। जहां परजीवी एक मेजबान के घोंसले में अंडे देता है। मेजबान अपने परिवार के लिये जो व्यवस्था करता है उससे यह परजीवी आश्रय प्राप्त करता है।
ब्रूड परजीवीवाद में संतति की मृत्यु भी हो सकती है। यह मृत्यु भूख से या मेजबान के द्धारा घोसले को छोड़ देने से हो सकती है।
सिम्बायोसिस के उदाहरण –
कोरल और zooxanthellae
क्लीनर मछली
Cordiceps
Biological Symbiosis – Making Life Easy से सम्बंधित यह पोस्ट आपको कैसी लगी। इसे अपने दोस्तों और फैमिली के साथ जरूर शेयर करे। साथ ही अगर किसी अन्य टॉपिक पर भी आप पोस्ट चाहते है तो हमें कमेंट बॉक्स में लिखे।
REFERENCE:- SCITECHDAILY
Reference: “Anaerobic endosymbiont generates energy for ciliate host by denitrification” by Jon S. Graf, Sina Schorn, Katharina Kitzinger, Soeren Ahmerkamp, Christian Woehle, Bruno Huettel, Carsten J. Schubert, Marcel M. M. Kuypers and Jana Milucka, 3 March 2021, Nature.
DOI: 10.1038/s41586-021-03297-6
READ ALSO:-
ONE BANKING SYSTEM ONE OMBUDSMAN UPSC